डेस्क। सावन मास (Sawan 2025) चल रहा है और सावन मास में शिव भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कई तरह से पूजा अर्चना (worship) करते हैं और गुलाब, चंपा, कमल समेत कई फूलों को अर्पित करते हैं लेकिन एक फूल ऐसा है, जिसको भगवान शिव (Lord Shiva) को अर्पित नहीं किया जाता और वह फूल है केतकी का फूल। शास्त्रों में भगवान शिव की पूजा अर्चना में केतकी का फूल निषेध बताया गया है।
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केतकी का फूल शिवलिंग पर चढ़ाने की मनाही क्यों है, इसकी वजह एक शाप है। शिव पुराण में एक पौराणिक कथा है। शिव पुराण (Shiva Purana) के अनुसार एक बार ब्रह्मदेव और विष्णु देव के बीच विवाद हो गया कि कौन सर्वश्रेष्ठ है? विवाद इतना बढ़ गया कि इसका हल न निकलते देख भगवान शिव (Lord Shiva) को बीच में आना पड़ा। तब भगवान शिव ने एक ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) की उत्पत्ति की और कहा कि जो कोई भी इस ज्योतिर्लिंग का आदि और अंत खोज लेगा; वह ही श्रेष्ठ कहलाएगा।
ऐसे में ज्योतिर्लिंग के ऊपर की दिशा में भगवान विष्णु बढ़ने लगे और ब्रह्मदेव ज्योतिर्लिंग की शुरुआत खोजने के लिए नीचे की तरफ जाने लगे। शिवलिंग का आदि और अंत खोजने के लिए ब्रह्मदेव और विष्णु देव ने लाख कोशिश की। लाख खोजने के बाद जब भगवान विष्णु को ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं मिला तो उन्होंने अपनी यात्रा रोक दी और महादेव के सामने स्वीकार किया की, वह ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं खोज सके।

ब्रह्माजी भी ज्योतिर्लिंग की शुरुआत खोजते खोजते थक गए तब उनको रास्ते में केतकी का फूल मिला। ब्रह्माजी ने केतकी के फूल को बहला फुसलाकर भगवान शिव के सामने झूठ बोलने के लिए तैयार कर लिया। इसके बाद केतकी का फूल और ब्रह्माजी भगवान शिव (Lord Shiva) के सामने पहुंचे। ब्रह्माजी ने भगवान शिव से कहा कि उन्हें ज्योतिर्लिंग की शुरुआत मिल गई है और केतकी के फूल से भी झूठी गवाही दिलवा दी।
भगवान शिव को पता था कि ब्रह्मदेव झूठ बोल रहे हैं। इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और ब्रह्माजी का पांचवां सिर काट दिया। तब से ब्रह्मदेव पंचमुख से चार मुख के हो गए। वहीं केतकी के फूल को शाप दिया कि आज से मेरी पूजा से तुमको वर्जित किया जाता है। तब से लेकर आज तक महादेव की पूजा में केतकी का फूल अर्पित नहीं किया जाता।
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