डेस्क। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। विलुप्त हो चुके डायर वुल्फ (Dire Wolf) को जेनेटिक इंजीनियरिंग (genetic engineering) की मदद से वापस लाने में उन्हें कामयाबी मिली है। ये भेड़िए ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ (Game of Thrones) सीरीज के कारण दुनिया भर में मशहूर हुए थे, जहां इन्हें ‘डायरवुल्फ’ के नाम से दिखाया गया था। लेकिन अब ये सिर्फ फैंटसी नहीं, बल्कि रिएलिटी बन चुके हैं (Dire Wolves Return)।
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आइए जानते हैं कि यह अद्भुत वैज्ञानिक उपलब्धि कैसे हासिल की गई और क्यों यह तकनीक भविष्य के लिए अहम साबित हो सकती है। डायर वुल्फ (Canis dirus) एक विशालकाय भेड़िया प्रजाति थी, जो आज से लगभग 13,000 साल पहले विलुप्त हो गई। ये आज के ग्रे वुल्फ (Gray Wolf) से 25% बड़े और ज्यादा शक्तिशाली थे, जिनका वजन लगभग 140 पाउंड तक होता था। इनकी खासियत थी- मजबूत जबड़े, घने फर और बर्फीले मौसम में जिंदा रहने की क्षमता।

इस असंभव-सी लगने वाली बात को कोलोसल बायोसाइंसेज नामक बायोटेक कंपनी ने सफल बनाया। उन्होंने ‘डी-एक्सटिंक्शन’ (De-Extinction) तकनीक का इस्तेमाल करते हुए 2021 में डायर वुल्फ (Dire Wolf) के जीवाश्मों से प्राचीन डीएनए निकाला। आधुनिक ग्रे वुल्फ के 20 जीनों में बदलाव करके डायर वुल्फ की विशेषताएं जैसे बड़ा आकार, घना फर और मजबूत हड्डियां शामिल की गईं। मॉडिफाइड एंब्रोज को सरोगेट कुत्तों में डाला गया, जिसके बाद तीन स्वस्थ डायर वुल्फ शावक पैदा हुए।
इनके नाम रोमुलस, रेमुस और खलीसी रखे गए। ये आम ग्रे वुल्फ से 20% बड़े हैं। इनका फर सफेद और घना है, जो ठंडे मौसम के अनुकूल है। हालांकि ये 100% डायर वुल्फ (Dire Wolf) नहीं हैं क्योंकि इनमें केवल 20 जीन ही बदले गए हैं जबकि असली डायर वुल्फ में 80 अलग जीन होते थे। यह तकनीक विलुप्त हो रही प्रजातियों को बचाने में मदद कर सकती है, जैसे रेड वुल्फ और टस्कनी लायन।
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