एटा। उत्तर प्रदेश के एटा (Etah) जिले के थाना सकीट क्षेत्र से एक अनोखा और अजूबा मामला सामने आया है जिसे देख आप हैरान रह जाएंगे, जहां एक 70 वर्षीय बुजुर्ग ने अपने जीते जी ही अपना पिंडदान (Pind Daan) कर दिया और अपनी तेरहवीं पर अपने रिश्तेदार,परिवार और व्यवहारियों को तेरहवीं का कार्ड देकर बुजुर्ग ने 800 से ज्यादा लोगों को मृत्यु भोज (funeral feast) कराया।
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इसके पीछे की वजह जानकर आप हैरान और सन्न रह जाएंगे। जब अंतिम क्रिया कर्म (Pind Daan) करने वाले बुजुर्ग से “नेक्स्ट इंडिया टाइम्स” (Next India Times) के रिपोर्टर ने बात की तो उन्होंने कहा कि मेरे घर वाले मेरे मरने के बाद मेरी तेहरवी नही करते। इसलिए मैने अपने जीते जी मैने अपनी 10 विस्वा जमीन बेचकर मृत्यु के सारे संस्कार करे और सभी को तेहरवीं भोज (funeral feast) दिया। ये सब सुन कर लोग दंग रह गए जब उन्होंने बताया कि इस तेरहवीं दावत की व्यवस्था अपनी 10 विस्वा जमीन बेचकर की है। अपने सामने ही लोगों को मृत्युभोज (funeral feast) कराकर अपने मन में कोई बोझ नहीं रखना चाहते थे सभी को भोज कराकर उनके मन में काफी खुशी और प्रसन्नता नजर आ रही थी।
आपको बता दें कि ये पूरा मामला थाना सकीट क्षेत्र के मुंशीनगर का है जहां 70 वर्षीय हाकिम सिंह को अपनों से कोई आस नहीं रही और उन्हें ये नहीं लगता कि बुजुर्ग हाकिम सिंह की मृत्यु के बाद उनके घर वाले उनका कोई क्रिया कर्म (funeral feast) कराएंगे। उसको लेकर बुजुर्ग हाकिम सिंह ने खुद ही जिंदा रहते सब कर डाला। अपना पिंडदान (Pind Daan), क्रिया कर्म और तेरहवीं संस्कार और तेरहवीं भोज में रिश्तेदार, परिवार और गांव के लोगों को मृत्यु भोज (funeral feast) का आमंत्रण कार्ड बाटकर 800 से ज्यादा लोगों को करा दिया मृत्यु भोज ; जिसकी चर्चा हर ओर हो रही है।
वही इस तेरहवी संस्कार और मृत्यु भोज (funeral feast) कार्यक्रम में गांव के लोग भी बिना झिझक पहुंचे और 800 से ज्यादा लोगों ने इस मृत्यु भोज में भोजन किया और उन्होंने बताया कि भाई और भतीजों ने उनकी पिटाई कर उनकी जमीन भी छीन ली है। वही हाकिम सिंह के विवाह के लंबे समय तक उनको कोई संतान नहीं हुई और उनकी पत्नी भी उन्हें छोड़कर अपने मायके चली गई और फिर तो वो पूरे तरह टूट गये और फिर वो साधु बाबा के रूप में अपना जीवन बिता रहे हैं।
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आपको बता दें कि बुजुर्ग हाकिम सिंह ने बाकायदा मृत्यु के बाद होने वाले संस्कार अपने जीते जी अपने घर ब्राह्मणों को बुलाकर विधि-विधान के साथ हवन-यज्ञ और पिंडदान और तेरहवीं संस्कार (funeral feast) की सभी रस्में अदा की गईं। कुछ दिन पूर्व उनकी तबीयत भी बिगड़ गई तो तब ये सब उनके मन में आया कि अपने सामने ही पंडितों और रिश्तेदार, गांव के और परिचितों को मृत्युभोज (funeral feast) कराकर अपने मन पर रखे इस बड़े बोझ को भी में निपटा जाऊं। इसी को लेकर बुजुर्ग हाकिम सिंह (Hakim Singh) ने ये आयोजन किया, जिसमें करीब 800 लोग से ज्यादा लोग भोज करने पहुंचे और वो सब बस यही कहने लगे कि ये देखिए अपने जीते जी ही सब कुछ कर दिया जो कि काफी चर्चा का विषय बन गया है।
(रिपोर्ट- हर्ष द्विवेदी, एटा)
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