डेस्क। मानसून (monsoon) का मौसम जब भी आता है तो अपने साथ राहत लेकर आता ही है इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन इस मौसम में बारिश, आंधी (storm), बादल फंटने और बिजली गिरने की वजह से कई नुकसान भी होते हैं। अक्सर हमारे मन में सवाल आता है कि आखिर आसमान में बिजली (lightning) कैसे बनती है और यह कितने वाट की होती है जिसकी वजह से यह जानलेवा बन जाती है।
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यह आकाशीय बिजली नमी वाली हवाओं से बननी शुरू होती है। जी हां, जब मानसून (monsoon) की शुरुआत होती है और गर्म हवा नमी के साथ जमीन से उठकर आसमान में पहुंचती है। तब बादलों में पानी के कण इकठ्ठा होते हैं और हवा चलने की वजह से इन कणों में आपस में टकराव होता है। टकराव की वजह से कुछ बादलों में पॉजिटिव चार्ज बनता है तो कुछ में नेगेटिव। फिर यह पॉजिटिव और नेगेटिव चार्ज वाले बादल आपस में टकराते हैं और बिजली (lightning) बनती है।

आसमान में कड़कने वाली बिजली (lightning) सिर्फ तेज आवाज या रोशनी नहीं देती है, बल्कि जब यह जमीन पर गिरती है तो जानलेवा भी बन जाती है क्योंकि इसमें हजारों या लाखों नहीं, बल्कि करोड़ों वोल्ट का करंट होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, आसमान में बनने वाली बिजली में 10 से 30 करोड़ वोल्ट और 30 हजार एम्पियर का करंट होता है। बता दें, घर की बिजली आमतौर पर 120 वोल्ट और 15 एंपियर करंट की होती है।
यह फैक्ट पूरी तरह से साइंस और फिजिक्स का है। जिन बादलों की बिजली (lightning) कड़कती या गरजती है अगर उनका चार्ज नेगेटिव होता है और वह धरती की सतह पर मौजूद पॉजिटिव चार्ज की तरफ खिंच जाता है तो बिजली जमीन पर गिरती है। खुले मैदान, पहाड़, पेड़, तलाब या नदी के पानी जैसी जगहों पर बिजली गिरने का सबसे ज्यादा खतरा होता है। ऐसे में जब आसमान में बिजली की गड़गड़ाहट शुरू हो तो इन जगहों से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
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