डेस्क। होलिका दहन (Holika Dahan) फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा (Falgun Shukla Purnima) के दिन किया जाता है। इस साल होलिका दहन की तिथि 13 मार्च है। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो यह गुरुवार रात 11.26 बजे से देर रात 12.30 बजे तक है। इस दौरान होलिका दहन करें। होलिका दहन के दौरान घर में सुख-संपत्ति की कामना की जाती है। मान्यता है कि होलिका दहन से घर से नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) दूर होती है।
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होलिका दहन (Holika Dahan) के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा धो लें। व्रत का संकल्प लेने के बाद होलिका दहन की तैयारी करें। जिस जगह पर होलिका दहन करना हो, उस जगह को साफ कर लें। यहां होलिका दहन की सारी सामग्री इकट्ठा कर लें। इसके बाद होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा बनाकर भगवान नरसिंह की पूजा करें। शुभ मुहूर्त के दौरान होलिका की पूजा करें और उसमें अग्नि दें। इसके बाद परिवार के साथ होलिका की तीन बार परिक्रमा कर लें। फिर नरसिंह भगवान से प्रार्थना करते हुए होलिका की आग में गेहूं, चने की बालियां, जौ, गोबर के उपले आदि डालें।

इसके बाद होलिका की आग में गुलाल और जल चढ़ाएं। होलिका की आग शांत होने के बाद उसकी राख को घर ले जाएं। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।अगर आपके घर में वास्तु दोष है तो होलिका की राख को दक्षिण पूर्व दिशा (आग्नेय कोण) में रखें। इससे घर का वास्तु दोष दूर होता है। होलिका दहन (Holika Dahan) की ज्वाला देखने के बाद ही भोजन करें।
होलिका दहन (Holika Dahan) सनातन धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन इस दौरान कुछ लोगों को होलिका दहन में शामिल नहीं होना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार गर्भवती महिलाएं, नवविवाहित लड़कियां और छोटे बच्चों को होलिका दहन नहीं देखना चाहिए। इसके पीछे एक बेहद खास वजह है कि होलिका दहन की अग्नि में राक्षसी होलिका का अंत हुआ था। हालांकि होली पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है लेकिन इन लोगों को किसी प्रकार की नकारात्मकता का सामना न करना पड़े, इस वजह से गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को पहली होली को नहीं देखने की सलाह दी जाती है।
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