डेस्क। ऐसे मामले अक्सर सामने आते हैं जब किसी आरोपी को न्यायिक हिरासत (judicial custody) दी जाती है तो वहीं किसी दूसरे को पुलिस हिरासत में रखा जाता है। कहीं गिरफ्तारी (arrest) होती है तो कहीं हिरासत (detention)। आमतौर पर लोगों को कस्टडी और ज्युडिशियल कस्टडी (judicial custody) एक ही लगती है लेकिन ऐसा नहीं है। दोनों में फर्क होता है। चलिए जानते हैं इनमें क्या अंतर है?
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कस्टडी का मतलब होता है हिरासत (custody) यानि कि सुरक्षात्मक देखभाल के लिए किसी को भी पकड़ना लेकिन हिरासत और गिरफ्तारी दो अलग चीजें हैं। हर गिरफ्तारी में हिरासत तो होती है लेकिन हर हिरासत में गिरफ्तारी नहीं होती है। किसी को गिरफ्तार तब किया जाता है जब वह अपराध करने का दोषी हो या फिर उस पर अपराध करने की शंका हो। कस्टडी का मतलब होता है उस शख्स को अस्थाई तौर पर जेल में रखना।

पुलिस कस्टडी में आरोपी को पुलिस थाने में रखती है, जबकि न्यायिक हिरासत (judicial custody) में उसे जेल में रखा जाता है। पुलिस कस्टडी का टाइम 24 घंटे होता है और न्यायिक कस्टडी का कोई तय समय नहीं होता है। इसके लिए कोर्ट समय तय करती है। पुलिस कस्टडी में आरोपी को 24 घंटे में मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है, वहीं न्यायिक हिरासत में आरोपी को तब तक जेल में रखा जाता है, जब तक उसके खिलाफ कोर्ट में केस चल रहा होता है या फिर अदालत उसे जमानत नहीं दे देती है।
पुलिस कस्टडी में पुलिस आरोपी के साथ मार-पीट भी कर सकती है लेकिन अगर आरोपी सीधे न्यायालय में हाजिर हो जाता है तो वह मारपीट से बच जाता है और अगर पुलिस को पूछताछ करनी हो तो कोर्ट से आज्ञा लेनी होती है। पुलिस कस्टडी में हत्या, लूटपाट, चोरी इत्यादि के लिए रखा जाता है। वहीं न्यायिक हिरासत आमतौर पर भ्रष्टाचार, टैक्स चोरी जैसे मामलों के लिए होती है।
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