डेस्क। हाल ही में सीआरपीएफ ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया है कि मलेशिया ट्रिप के दौरान राहुल गांधी ने येलोबुक (Yellow Book) प्रोटोकॉल को तोड़ा है। राहुल गांधी बिना पूर्व सूचना के विदेश यात्रा करते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ती है। ऐसे में जानते हैं ये येलो बुक प्रोटोकॉल क्या होती है?
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भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के अलावा राज्यों के मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता, कैबिनेट मंत्री समेत अन्य सभी वीवीआईपी लोगों की सुरक्षा कई नियमों के आधार पर तय की जाती है। सुरक्षा नियमों का पालन करना इन VVIP के लिए जरूरी होता है। सुरक्षा प्रदान किए जाने के साथ ही गृह मंत्रालय की ओर से ये सभी नियम और दिशा निर्देश एक किताब में लिखकर संबंधित वीवीआईपी को दिए जाते हैं। जिसे येलो बुक (Yellow Book) कहा जाता है।

गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई इस येलो बुक (Yellow Book) में सुरक्षा के अलग-अलग स्तर को लेकर अलग-अलग प्रोटोकॉल जारी किए जाते हैं। जिसे उस वीवीआईपी व्यक्ति को फॉलो करना होता है। इस बुक के प्रोटोकॉल के तहत संबंधित व्यक्ति को यात्रा करने से पहले सुरक्षा की कमान संभाल रही एजेंसी को जानकारी साझा करनी होती है। ताकि सुरक्षा का प्रबंध पहले से ही किया जा सके।
गंभीरता के स्तर को देखते हुए अलग-अलग व्यक्तियों को कई Z+, Z,Y और X सुरक्षा प्रदान की जाती है। जबकि भारत में एसपीजी सुरक्षा प्रधानमंत्री को प्रदान को दी जाती है। सीआरपीएफ की वीआईपी सुरक्षा शाखा, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को ‘जेड प्लस (एएसएल)’ सशस्त्र सुरक्षा प्रदान करती है। जब भी राहुल गांधी कहीं जाते हैं, लगभग 10-12 सशस्त्र सीआरपीएफ कमांडो उन्हें नजदीकी सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं।
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