डेस्क। अभिनेता विष्णु मांचू (Vishnu Manchu) की फिल्म ‘कन्नप्पा’ (Kannappa) को 27 जून को सिनेमाघरों (theatres) में रिलीज किया गया था। समीक्षकों की तरफ से इस फिल्म को हरी झंडी मिली, वहीं दर्शक भी दिल खोलकर फिल्म की कहानी और विष्णु की अदाकारी की तारीफ कर रहे हैं। बॉक्स ऑफिस ट्रैकर सैकनिल्क के मुताबिक, ‘कन्नप्पा’ (Kannappa) के खाते में तीसरे दिन 7.25 करोड़ रुपये आए हैं। इसी के साथ अब भारत में इस फिल्म की कुल कमाई 23.75 करोड़ रुपये हो गई है।
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फिल्म शिवभक्ति पर आधारित है। क्या आपको पता है कन्नप्पा की कहानी? दक्षिण भारत की परम्पराओं के अनुसार कन्नप्पा भगवान शिव के परम भक्त थे। उनकी कहानी आंध्रप्रदेश के श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर (Srikalahasteeshwara temple) से जुड़ी हुई है। बताया जाता है कि साउथ इंडिया की मान्यताओं के अनुसार संत कहे जाने वाले कन्नप्पा (Kannappa) का जन्म आंध्र प्रदेश में हुआ था। उनका जन्म का नाम तिन्ना था। वे चेंचू कबीले से ताल्लुक रखते थे और शिकारी फैमिली से आते थे।
तिन्ना यानी कन्नप्पा (Kannappa) नास्तिक के रूप में बड़े हुए। वे भगवान में नहीं मानते थे और अक्सर पूजा पाठ का विरोध किया करते थे। बताया जाता है कि एक दिन जब वे जंगल में शिकार के लिए गए थे, तब उन्हें हवा में शिव लिंग की आकृति दिखी, जिसे वायु लिंग के रूप में जाना जाता है। तिन्ना पूजा-पाठ नहीं जानते थे। लेकिन उनके पास जो था (मुंह में पानी और शिकार से प्राप्त किया गया मांस), उन्होंने वह उस वायु लिंग को अर्पित कर दिया। तिन्ना की भक्ति में सच्चाई देखते हुए भगवान शिव ने उनके द्वारा अर्पित किया गया मुंह का पानी और शिकार का मांस स्वीकार कर लिया।

तिन्ना ने भक्ति का सबसे बड़ा परिचय उस वक्त दिया, जब एक दिन उन्होंने शिव लिंग की एक आंख से खून बहते देखा। उन्होंने अपनी एक आंख निकाली और उस लिंग को लगा दी, जिसके बाद खून बहना बंद हो गया। अचानक उन्होंने देखा कि लिंगम की दूसरी आंख से खून बहने लगा। तब उन्होंने अपनी दूसरी आंख निकालकर वहां अर्पित करने का फैसला लिया। लेकिन जैसे ही वे अपनी दूसरी आंख निकालने को तैयार हुए, भगवान शिव प्रकट हो गए और उनके त्याग से काफी प्रभावित हुए। भगवान शिव ने ना केवल कन्नप्पा को उनकी रोशनी वापस दी, बल्कि उन्हें मोक्ष भी प्रदान किया। कन्नप्पा जिस वायु लिंग की पूजा करते थे, उसे आज भी आंध्रप्रदेश के श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर में पूजा जाता है।
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