डेस्क। इस्लाम (Islam) धर्म में रमजान की तरह मुहर्रम (Muharram) की भी बहुत मान्यता है। यह इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है और इस महीने को भी रमजान की तरह पाक माना जाता है। गुरुवार यानी 26 जून को मुहर्रम के चांद का दीदार हो गया है। ऐसे में इस्लामिक कैलेंडर (Islamic calendar) के अनुसार नए साल की पहली तारीख 27 जून को हो रही है।
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इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, मुहर्रम (Muharram) के 10वें दिन पैगंबर हजरत मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन के 72 साथियों की कर्बला में शहादत हुई थी। इसलिए इस महीने के 10वें दिन मातम मनाया जाता है। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग जुलूस निकालते हैं। क्या आपको पता है कि मुहर्रम में कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग मछली नहीं खाते हैं।
यह बात आपको अजीब जरूर लगेगी लेकिन बहुत से मुस्लिम मुहर्रम के महीने में मछली और कुछ विशेष खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं, चलिए आपको इसका कारण बताते हैं। सबसे पहले तो यह बता दें कि इस्लाम में मछली खाने पर किसी तरह की मनाही नहीं है। जहां तक मुहर्रम (Muharram) के महीने में मछली न खाने की बात है तो इसके लिए न ही कोई धार्मिक मान्यता है और ही न किसी तरह की पाबंदी।

मुहर्रम (Muharram) के दौरान और विशेष तौर पर आशुरा के दिन बहुत से मुस्लिम समुदाय के लोग बहुत से खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं। ऐसा करने के पीछे सिर्फ एक कारण कर्बला की शहादत को याद करना होता है। बहुत से मुस्लिम विशेष तौर पर आशुरा के दिन रोजा भी रखते हैं। दरअसल कर्बला की लड़ाई में इमाम हुसैन और उनके साथी इस्लाम को बचाने के लिए कई दिनों तक भूखे-प्यासे लड़े और शहीद हो गए थे। ऐसे में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखकर उनकी शहादत को याद करते हैं।
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