डेस्क। किसी भी शहर की वायु गुणवत्ता को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) से मापा जाता है। यह सूचकांक (index) सरकारी एजेंसियों द्वारा बनाया जाता है। एक शहर का AQI जानने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रदूषकों को देखा जाता है और उनकी मात्रा को मापा जाता है। एक्यूआई स्तर से लोगों को यह पता चलता है कि वायु प्रदूषण (air pollution) बढ़ रहा है या घट रहा है।
यह भी पढ़ें-क्या प्लेन क्रैश के पीछे साइबर अटैक भी हो सकती है वजह, जानें यहां
साथ ही यह भी बताया जाता है कि यह प्रदूषण (pollution) स्वास्थ्य के लिए कैसे नुकसानदायक हो सकता है। जब एक्यूआई बढ़ जाता है, तो लोगों को बाहर मास्क पहनने और घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। AQI में PM2.5, PM10, NO2, SO2, CO और O3 जैसे प्रदूषकों को मापा जाता है। ये प्रदूषक हमारी सेहत के लिए हानिकारक होते हैं।
AQI की गणना हवा में मौजूद प्रदूषकों की मात्रा को मापकर की जाती है। हर प्रदूषक के लिए एक मानक तय होता है और उसी हिसाब से एक्यूआई का स्कोर दिया जाता है। एक्यूआई से हम जान सकते हैं कि हमारे आस-पास की हवा कैसी है। अगर हवा खराब है तो खासकर शहरों में हम अपना ध्यान रख सकते हैं।

अलग-अलग देशों में AQI मापने के अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं। भारत में एक्यूआई 0 से 500 के बीच होता है। 0-50 अच्छी हवा और 400 से ऊपर गंभीर प्रदूषण माना जाता है। आजकल हवा की गुणवत्ता की निगरानी के लिए नए उपकरणों का उपयोग होता है। भारत में SAFAR जैसी ऐप से हम एक्यूआई को अपने मोबाइल पर चेक कर सकते हैं। सैटेलाइट से ली गई तस्वीरें और कंप्यूटर मॉडल भी एक्यूआई का पूर्वानुमान लगाने में मदद मिलती है।
Tag: #nextindiatimes #AQI #pollution