डेस्क। वैदिक पंचांग अनुसार, हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth) किया जाता है। इस त्योहार को देश भर में बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं करती हैं और रात में चंद्र दर्शन करने के बाद व्रत का पारण करने का विधान है।
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धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से पति को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन सदैव खुशहाल रहता है। साथ ही पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता आती है। इस व्रत की शुरुआत सरगी (Karwa Chauth Sargi 2025) में शामिल चीजों को खाने के बाद से होती है। इस परंपरा को सूर्योदय से पहले निभाया जाता है। इस दिन सरगी सास अपनी बहु को देती है। जिसमें फल, मिठाई और सुहाग की चीजों को शामिल किया जाता है।

करवा चौथ के दिन सरगी में शामिल चीजों का सेवन ब्रह्म मुहूर्त में करने का विधान है। इसके बाद करवा चौथ का व्रत की शुरुआत होती है। सनातन धर्म में सरगी का विशेष महत्व है। सरगी में फल और मिठाई के अलावा शृंगार की सामग्री को भी शामिल किया जाता है।
शुभ मुहूर्त:
करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 40 मिनट से 05 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसे में ब्रह्म मुहूर्त के दौरान सरगी में शामिल चीजों का सेवन कर ससकते हैं। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत- 09 अक्टूबर को देर रात 10 बजकर 54 मिनट पर। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का समापन- 10 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 38 मिनट पर। इस दिन चंद्रोदय शाम को 07 बजकर 42 मिनट पर होगा।
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