डेस्क। महाराष्ट्र से औरंगजेब (Aurangzeb) की कब्र हटाने की मांग करते हुए सोमवार को VHP एवं बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों के राज्यव्यापी प्रदर्शन की प्रतिक्रिया में नागपुर में कई जगहों पर हिंसक घटनाएं घटी। नागपुर में सोमवार को भड़की हिंसा (Nagpur Violence) के मास्टरमाइंड फहीम शमीम खान (faheem khan arrested) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
यह भी पढ़ें-औरंगजेब की कब्र पर क्यों है तुलसी का पौधा, मकबरा टूटा तो क्या होगा?
हाल ही में आई बॉलीवुड फिल्म ‘छावा’ (Chhava) के बाद भले ही औरंगजेब (Aurangzeb) की कब्र को लेकर यह विवाद खड़ा हो गया लेकिन मराठा साम्राज्य के दौरान ऐसा नहीं था। आपको बता दें कि मुगलों के और मराठाओं के बीच लंबे संघर्ष के इतिहास के बावजूद मराठा शासकों ने मुगलों के स्मारकों के प्रति सम्मानजनक रवैया अपनाया और 1674 से 1818 तक चले मराठा संघ में मुगल स्मारकों को संरक्षण भी प्रदान किया गया, जिसमें औरंगजेब की कब्र भी शामिल है।
इतिहासकार रिचर्ड ईटन की किताब ‘A Social History Of the Deccan’ में शिवाजी के पोते शाहू प्रथम के औरंगजेब (Aurangzeb) की कब्र पर जाने और उसे श्रद्धांजलि देने का जिक्र मिलता है। इसके मुताबिक संभाजी की मौत के बाद औरंगजेब ने उनके बेटे शाहू प्रथम को कैद करवा लिया था। इस समय उनकी उम्र सिर्फ 7 साल थी और वह 18 साल तक मुगलों की कैद में रहे। 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद शाहू प्रथम को रिहा किया गया, जिसके बाद वह औरंगजेब की कब्र पर गए और श्रद्धांजलि दी।

हालांकि बहुत ही कम लोग जानते हैं कि शाहूजी प्रथम ने औरंगजेब (Aurangzeb) को श्रद्धांजलि क्यों दी थी? ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि शाहू प्रथम के रिहा होने के बाद उनके और ताराबाई के बीच सत्ता संघर्ष शुरू हो गया। ताराबाई ने आरोप लगाए कि मुगलों के शिविर में 18 साल बिताने के बाद शाहूजी प्रथम पर मुगलों का प्रभाव पड़ा है और वह भी सांस्कृतिक रूप से मुगल हो गए, इसलिए उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। शाहू प्रथम जब औरंगजेब की कब्र पर गए तो यह बात सच भी साबित हुई।
Tag: #nextindiatimes #Aurangzeb #Chhavaa #Nagpur