28.3 C
Lucknow
Friday, July 11, 2025

सबसे पहले किसने की थी कांवड़ यात्रा? यूपी के इस मंदिर में चढ़ाया था जल

डेस्क। सावन (Sawan) का महीना शुरू होते ही शिवभक्त केसरिया वस्त्र धारण कर कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) पर निकल जाते हैं। श्रद्धालु गंगा जल से भरी कांवड़ लेकर भगवान शिव (Lord Shiva) का जलाभिषेक करने के लिए लम्बी यात्राएं तय करते हैं। यह परंपरा मुख्य रूप से उत्तर भारत में देखने को मिलती है। पर क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले किसने कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) की थी ?

यह भी पढ़ें-क्यों निकालते हैं कांवड़ यात्रा और इसे कंधे पर ही क्यों रखते हैं, जानें यहां

जानकारी के मुताबिक बता दें कि कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) को लेकर विद्वानों की एक मत नहीं है। धार्मिक शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी (Parshuram) ने ही कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी। इसलिए वह पहले कांवड़िए भी कहलाते हैं। भगवान परशुराम (Lord Parshuram) ने ही हिंडन नदी के किनारे स्थित इस मंदिर की स्थापना की थी। उन्होंने कांवड़ द्वारा लाए गए गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक किया था और पहली कांवड़ चढ़ाई थी। उन्होंने उत्तर प्रदेश के बागपत में स्थित ‘पुरा महादेव’ मंदिर में जल अर्पित किया था।

तभी से कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) चली आ रही है। इस मंदिर में हर साल कांवड़ यात्रा के दौरान शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए लाखों कांवड़िए पहुंचते हैं। माना जाता है कि जो भी भक्त सावन में इस मंदिर में शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करता है, उसे महादेव की असीम कृपा की प्राप्ति होती है। साथ ही उस भक्त की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। सावन में कावड़ लाने भक्तों की भारी भीड़ यहां उमड़ती है।

वहीं इस पर कुछ धार्मिक मान्यता है। ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहला कांवड़िया प्रभु राम को माना जाता है। दरअसल बिहार के सुलतानगंज से गंगाजल भरकर बैद्यनाथ धाम में शिवलिंग का जलाभिषेक किया था। कुछ विद्वान श्रवण कुमार को पहला कांवड़िया मानते हैं। उनका मानना है कि श्रवण कुमार त्रेता युग में अपने अंधे माता-पिता को कांवड़ में बिठाकर हरिद्वार लाए थे और उन्हें गंगा स्नान कराया था। इतना ही नहीं, लौटते समय वे गंगाजल भी अपने साथ ले गए थे।

Tag: #nextindiatimes #KanwarYatra #Sawan2025

RELATED ARTICLE

close button