नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर लाए गए नए कानून को लेकर सोमवार को उत्तर प्रदेश रोडवेज चालक (Roadways Driver) परिचालक संघ की ओर से हड़ताल (strike) कर दी गई। सुबह से चालक रोडवेज (roadways) पर एकत्र होकर इस कानून का विरोध कर रहे हैं।
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बस चालकों ने एकजुट होकर इस कानून के विरोध में आवाज (strike) उठाई। कोशिश चल रही है कि प्राइवेट बस चालक और एंबुलेंस आदि के चालक भी उनके साथ दें। कई आटो चालक भी उनके समर्थन में गाड़ी खड़ी कर रोडवेज परिसर पहुच रहे है। सरकारी बस चालकों (Roadways Driver) को परिवहन विभाग दबाव डालकर बसें लेकर भेज रहा है। जिससे यात्रियों (passengers) को परेशानी न हो। लेकिन ड्राइवरों का कहना है कि यदि रास्ते में कुछ हुआ तो इसकी जिम्मेदारी के लिए वे तैयार नहीं हैं।
विभिन्न रूट पर जाने वाली बसों के खड़ा होने से सैकड़ों यात्री (passengers) बस स्टैंडों पर भटकते रहे, पूछताछ केंद्र पर जाकर बसों के संचालन के बारे में पूछते रहे। इधर, देहात में भी व्यवसायिक वाहनों व ट्रक चालकों ने जगह-जगह चक्का जाम (strike) कर प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन की सूचना पर पुलिस सुबह से दौड़ती रही।
इंडियन पीनल कोड (आइपीसी) अब (भारतीय न्याय संहिता) की धाराओं में संशोधन के विरोध में रोडवेज चालकों और व्यवसायिक वाहनों के चालकों सोमवार को हड़ताल (strike) कर दी। इससे शहर और देहात के बस अड्डों पर पहुंचे यात्री अपने गंतव्य को जाने के लिए परेशान रहे। चालको का कहना है कि वह खुद कभी नहीं चाहते कि हादसा हो लेकिन दुर्घटना अचानक होती है। लेकिन सरकार ने अब दुर्घटना होने पर सीधे चालक को दोषी माने जाने का कानून बना दिया है। जिसमे दस साल की सजा और अर्थदंड का प्राविधान है। बताया कि इसी के विरोध में यह हड़ताल (strike) शुरू हुई है जो आगे भी जारी रहेगी।
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