डेस्क। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना की विधानसभाओं में संपन्न हुए चुनाव के नतीजे आ गए हैं। इन नतीजों में सबसे अधिक चौंकाने वाले नतीजे छत्तीसगढ़ में मिले, जहां कांग्रेस का वोट परसेंटेज इस तरह गिरा है जिसकी किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी।
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भाजपा की तमाम विपक्षी पार्टियों के साथ गठबंधन के बाद जोरदार जीत का दम भर रही कांग्रेस तीन राज्यों में क्यों बेदम हो गई चलिए जानते हैं इसके पीछे की वजह। शुरुआत करते हैं राजस्थान से….तो राजस्थान में विधानसभा चुनाव के दौरान उदयपुर सीट काफी चर्चा में रही थी। कन्हैयालाल हत्याकांड के कारण कांग्रेस पहले ही इस सीट पर बैकफुट पर थी। इसके अलावा भाजपा ने पेपरलीक, तुष्टिकरण और भष्टाचार, लाल डायरी जैसे मुद्दों को उठाया। भाजपा ने इस सीट पर पूरी जान झोंक दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार की शुरुआत यहीं से की थी। उन्होंने कन्हैयालाल हत्याकांड को लेकर गहलोत सरकार पर निशाना साधा था। इसका असर इस सीट के नतीजों पर साफ़ दिखा।
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राजस्थान के चुनाव में लॉ एंड ऑर्डर भी अहम मुद्दा रहा। महिलाओं के खिलाफ अपराध की कई घटनाएं सामने आई, जिसको लेकर बीजेपी ने कांग्रेस को घेरा। राज्य के करौली ज़िले में 19 साल की एक दलित युवती के साथ गैंगरेप के जलाकर कुएं में फेंकने के मामले ने भी काफी तूल पकड़ा था। इस पर बीजेपी ने गहलोत सरकार पर महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर राज्य को अव्वल नंबर पर बताया। यहां तक कि राहुल गांधी और प्रियंका गाधी को कुछ घटनाओं पर बयान नहीं देने की वजह से निशाने पर भी ले लिया था।
इसके अलावा राजस्थान सरकार ने राजधानी जयपुर में हत्या मामले में मुस्लिम युवक को 50 लाख के राहत पैकेज की घोषणा भी कांग्रेस को बैकफुट पर ले आयी। राजस्थान के अलवर जिले में गहलोत सरकार का बुलडोजर 300 साल पुराने मंदिर पर अतिक्रमण बताकर चल गया था जिस पर भाजपाईयों ने कांग्रेस सरकार चारों तरफ से घेर लिया था।
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अब बात करते हैं छत्तीसगढ़ की तो यहां महादेव एप घोटाले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम आना हार की बड़ी वजह साबित हुआ। इसके अलावा पार्टी में गुटबाजी, भितरघात और अंतर्कलह का सतह पर आना भी कांग्रेस के लिए भारी पड़ गया। किसानों को बोनस और महिलाओं के लिए महतारी वंदन योजना का फायदा भाजपा को मिल गया।
अब अगर बात की जाए मध्य प्रदेश की तो यहां राष्ट्रीय मुद्दे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी ने कांग्रेस के स्थानीय मुद्दों को समेट दिया। लाड़ली बहना योजना ने अपना अपेक्षित असर दिखाया। कांग्रेस के तमाम वादों पर यह योजना अकेले ही भारी पड़ी।
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