26.5 C
Lucknow
Friday, October 18, 2024

इसरो ने XPoSAT सैटेलाइट लांच कर रचा इतिहास, अब खुलेंगे ब्लैक होल के राज

Print Friendly, PDF & Email

डेस्क। नए साल में भारत ने अंतरिक्ष में इतिहास रच दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने वर्ष 2024 के पहले दिन 1 जनवरी को सुबह 9.10 बजे देश का पहला और विश्व का दूसरा ध्रुवणमापी खगोलीय (satellite) उपग्रह (XPoSAT) लाॅन्च किया है।

यह भी पढ़ें-नए साल पर मिला तोहफा, सस्ता हुआ सिलेंडर, जानें अब क्या है कीमत

यह उपग्रह गहन अंतरिक्ष में ब्लैक होल (black hole), न्यूट्रॉन तारे, पल्सर तारे और सक्रिय आकाशगंगाओं का अध्ययन करेगा। इन खगोलीय स्रोतों से होने वाले एक्स-रे उत्सर्जन पर इस उपग्रह (satellite) की निगाह होगी। आज पीएसएलवी-सी58 एक्सपीओसैट (XPoSAT), एक एक्स-रे पोलारिमीटर उपग्रह और 10 अन्य पेलोड प्रक्षेपित किया गया।

चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 के बाद सिर्फ 6 महीने के भीतर इसरो तीसरा वैज्ञानिक मिशन लाॅन्च किया है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लाॅन्च पैड से यह उपग्रह (satellite) पीएसएलवी सी-58 से प्रक्षेपित किया गया। प्रक्षेपण के 22 मिनट बाद एक्सपोसैट (XPoSAT) पृथ्वी की 650 किमी ऊपरी कक्षा में स्थापित होगा। एक्सपोसैट (XPoSAT) विश्व का दूसरा ध्रुवणमापी उपग्रह है। इससे पहले अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक्स-रे एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर (आइएक्सपीई) वर्ष 2021 में लाॅन्च किया था।

ISRO XPoSat Launch: ब्लैक होल का अध्ययन करने के लिए एक्सपो सैटेलाइट लॉन्च  …….. नए साल पर इसरो ने रचा नया इतिहास – Ambikapurcity.com

इसके बाद पीएसएलवी के चौथे चरण (PS-4) को 350 किमी निचली कक्षा में लाया जाएगा। इसके लिए PS-4 के इंजन को दो बार चालू और बंद किया जाएगा। पीएस-4 को निचली कक्षा में लाने के दौरान उसमें बचे हुए ईंधन को मुख्य इंजन के जरिए उपयोग में लाया जाएगा। इस दौरान पहले (XPoSAT) में ऑक्सीडाइजर का उपयोग होगा उसके बाद ईंधन का प्रयोग किया जाएगा। ऐसा भविष्य के री-एंट्री मिशनों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।

Tag: #nextindiatimes #XPoSAT #blackhole #ISRO

RELATED ARTICLE

close button