लखनऊ। मशहूर शायर मुनव्वर राना (Munawwar Rana) का रविवार को लखनऊ (Lucknow) में निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे और काफी दिनों से SGPGI में भर्ती थे। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। 26 नवंबर 1952 को रायबरेली में जन्मे मुनव्वर राना (Munawwar Rana) उर्दू साहित्य के बड़े नाम हैं। उन्हें 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।
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बीते दिनों किडनी संबंधित परेशानियों के बाद उन्हें लखनऊ (Lucknow) स्थित SGPGI में भर्ती कराया गया था। यहां वह ICU वार्ड में भर्ती थे। रविवार देर रात साढ़े 11 बजे के आसपास उन्होंने अंतिम सांस ली। पिछले दो साल से किडनी खराब होने के कारण मुनव्वर राना (Munawwar Rana) की डायलिसिस चल रही थी। साथ में फेफड़ों की गंभीर बीमारी सीओपीडी से भी परेशान थे। 9 जनवरी को हालत खराब होने पर पीजीआई में एडमिट किया गया था जहां मंगलवार को उन्होंने आखिरी सांस ली।
पीजीआई के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर नारायण प्रसाद ने बताया कि लंबे समय से उन्हे किडनी की बीमारी थी। 9 जनवरी को जब Munawwar Rana को एडमिट किया गया तो उन्हें सीओपीडी के साथ हार्ट की भी दिक्कत थी, जिसके चलते वेंटिलेटर पर रखा गया। सेहत में सुधार होने के बाद वेंटिलेटर (ventilator) से हटाया गया था लेकिन ज्यादा समय तक बिना वेंटिलेटर रह नहीं सके। दोबारा उन्हें वेंटिलेटर (ventilator) पर रखना पड़ा, जहां रविवार को उनका निधन हो गया।
इससे पहले वह लखनऊ के मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) में भर्ती कराए गए थे। मुनव्वर राना (Munawwar Rana) देश के जाने-माने शायरों में गिने जाते हैं। उन्हें साहित्य अकादमी और माटी रतन सम्मान के अलावा कविता का कबीर सम्मान, अमीर खुसरो अवार्ड, गालिब अवार्ड आदि से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा उनकी दर्जन भर से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हैं। इनमें मां, गजल गांव, पीपल छांव, बदन सराय, नीम के फूल, सब उसके लिए, घर अकेला हो गया आदि शामिल हैं।
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