रांची। झारखंड टेंडर कमीशन घोटाले (Tender Scam) में राज्य सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम (alamgir alam) को गुरुवार को पीएमएलए कोर्ट में पेश करने के बाद रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल भेज दिया गया। ईडी ने उन्हें 15 मई की शाम को गिरफ्तार किया था।
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जेल भेजे जाने के बावजूद आलमगीर आलम (alamgir alam) मंत्री पद पर बने हुए हैं। न तो उन्होंने इस्तीफा दिया है और न ही मुख्यमंत्री ने उन्हें पद से हटाया है। गिरफ्तारी के बाद एजेंसी ने उन्हें रिमांड पर लिया और कुल 14 दिनों तक पूछताछ की। इस दौरान उनका आमना-सामना ग्रामीण विकास विभाग में सचिव रहे आईएएस मनीष रंजन, पीएस संजीव कुमार लाल, घरेलू सहायक जहांगीर आलम से भी कराया गया और कमीशन वसूली से जुड़े कई सवाल पूछे गए। एजेंसी ने आलमगीर आलम पर पूछताछ के दौरान कई सवालों के जवाब नहीं देने का आरोप लगाया है।

एजेंसी ने कोर्ट को बताया है कि आलमगीर आलम से पूछताछ के दौरान टेंडर कमीशन घोटाले से जुड़े कई नए तथ्य सामने आए हैं। टेंडर कमीशन घोटाले में इंजीनियरों, अफसरों और मंत्रियों का संगठित गिरोह सक्रिय था। नमूने के तौर पर ईडी ने जनवरी में पारित 92 करोड़ रुपये के 25 टेंडरों के ब्यौरे से संबंधित कागजात भी कोर्ट में पेश किए थे, जिसमें साफ लिखा है कि मंत्री आलमगीर आलम ने उक्त सभी 25 टेंडरों में 1.23 करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर लिए थे।
बता दें कि ईडी ने 6-7 मई को मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल और घरेलू सहायक जहांगीर आलम समेत कई अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की थी और इस दौरान 37 करोड़ से अधिक की रकम बरामद की गई थी। संजीव लाल और जहांगीर की गिरफ्तारी के बाद ईडी ने आलमगीर आलम को समन भेजा था और उनसे 14-15 मई को कुल करीब 14 घंटे पूछताछ की गई थी।