नई दिल्ली। गुरुवार सुबह 9:04 बजे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भूकंप (earthquake) के तेज झटके महसूस किए गए। नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम समेत कई इलाकों में कुछ सेकंड तक धरती कांपती रही। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, इस भूकंप की तीव्रता 4.4 मैग्निट्यूड थी और इसका केंद्र (epicenter) हरियाणा के झज्जर जिले में था।
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इतिहास पर नजर डालें तो 27 अगस्त 1960 का दिन दिल्ली वासियों के लिए सबसे भयावह भूकंप (earthquake) अनुभव लेकर आया था। उस दिन आए भूकंप की तीव्रता 5.6 मैग्निट्यूड थी और इसका केंद्र (epicenter) दिल्ली के पास ही 5 किलोमीटर गहराई में स्थित था। यह अब तक दिल्ली में दर्ज सबसे तीव्र भूकंप माना जाता है। इस भूकंप ने शहर को काफी नुकसान पहुंचाया था।
इस भयानक भूकंप (earthquake) के कारण दिल्ली में कई इमारतों में दरारें आ गई थीं। पुरानी दिल्ली, चांदनी चौक और लाल किला आदि इलाकों की इमारतों को काफी नुकसान पहुंचा था। इसके अलावा लाल किला और राष्ट्रपति भवन जैसी ऐतिहासिक इमारतें भी थोड़ी-बहुत डैमेज हुई थीं। भूकंप के कारण मलबा गिरने और भगदड़ की स्थिति बनने के कारण करीब 100 लोग घायल हो गए थे।

बता दें कि 1960 के सबसे बड़े भूकंप (earthquake) के अलावा दिल्ली में कई बार तगड़े झटके महसूस किए जा चुके हैं। साल 1720 में करीब 6.5 मैग्निट्यूड का भूकंप आया था, जिसने दिल्ली और आसपास के इलाके को बुरी तरह हिला दिया था। 1803 में गढ़वाल-उत्तराखंड के क्षेत्र में भूकंप के तेज झटके लगे थे, जिन्हें दिल्ली तक महसूस किया गया। इसमें दिल्ली की कुतुब मीनार का गुंबद भी डैमेज हो गया था। 1905 में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में 7.8 मैग्निट्यूड का भूकंप आया, जिसके झटके दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में महसूस किए गए।
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