लखनऊ। पहलगाम हमले (Pahalgam attack) के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने यूपी में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों (Rohingya Muslims) को चिन्हित कर बाहर निकालने का निर्देश दिया है। लेकिन इस बीच सवाल उठता है कि रोहिंग्या मुसलमान कौन होते हैं और इनसे इनके देश को आखिर क्या समस्या है जो ये सरहद (border) पार करके भारत को अपना ठिकाना बनाते हैं।
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रोहिंग्या मुसलमान (Rohingya Muslims), एक राज्यविहीन, इंडो-आर्यन जातीय समूह है जो इस्लाम धर्म का पालन करता है। वे मुख्य रूप से बांग्लादेश और म्यांमार के रखाइन राज्य में रहते हैं। रोहिंग्या को म्यांमार सरकार द्वारा नागरिकता देने से इनकार कर दिया गया है, और उन्हें बांग्लादेश से आए अवैध अप्रवासी माना जाता है। रुईंगा और रवांग्या से आधुनिक रोहिंग्या शब्द की उत्पत्ति हुई है। माना जाता है कि रोहांग शब्द भी अरबी भाषा के रहम से बना है और अराकान के मुस्लिम खुद को अल्लाह के बंदे (खुदा के आशीर्वाद वाले लोग) कहते थे।
दरअसल 1826 के बाद अंग्रेज पूर्वी बंगाल से लोगों को अराकान लेकर गए तो उनमें हिंदू भी थे और मुस्लिम भी। आम तौर पर इस प्रांत में रहने वाले सभी लोगों को रोहिंग्या कह दिया जाता है। इसलिए रोहिंग्या जनसंख्या में हिंदुओं की भी गिनती होती है। 1982 के बर्मीज सिटिजनशिप लॉ के तहत रोहिंग्याओं को म्यांमार की नागरिकता देने से इनकार कर दिया गया। रोहिंग्याओं (Rohingya Muslims) के अनुसार वह अंग्रेजों के आगमन से पहले और बाद में भी पश्चिमी म्यांमार में रहते आए हैं, जबकि म्यांमार की सरकार उन्हें अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए बताती है।

रोहिंग्या शरणार्थियों (Rohingya Muslims) के भारत आने के कई कारण हैं। इनमें से सबसे प्रमुख कारण है म्यांमार में उनके खिलाफ दशकों से जारी जातीय हिंसा। म्यांमार में लंबे समय तक सेना का शासन रहा है और सैन्य जुंटा सरकार ने हर दौर में रोहिंग्याओं पर जमकर जुल्म किए। 2015 के चुनाव में जब आंग सान सू की ने जीत दर्ज की तो सेना को बड़ा झटका लगा।
इसके बाद साल 2017 में म्यांमार की सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ व्यापक पैमाने पर कार्रवाई शुरू कर दी। सेना की बर्बरता से जान बचाने के लिए लाखों रोहिंग्या मुसलमानों ने अपना देश छोड़कर पड़ोसी देशों में शरण ले ली। बांग्लादेश की सरहदें लांघकर रोहिंग्या दो रास्तों के जरिए भारत पहुंचते हैं। पहला रास्ता पश्चिम बंगाल की ओर से भारत आने का है और दूसरे रास्ते के तौर पर वह पूर्वोत्तर में मिजोरम और मेघालय की ओर से भारत पहुंचते हैं।
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