अयोध्या। देश भर में आज धूमधाम से रामनवमी (Ram Navami) मनाई जा रही है। भगवान श्रीराम (Shri Ram) के दर्शन मात्र के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु अयोध्या (Ayodhya) आते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि रामनवमी का दिन राम मंदिर के लिए बेहद खास होगा जिसकी एक वजह सूर्य तिलक भी है। दोपहर 12 बजे रामलला के माथे पर सूर्य तिलक (Surya Tilak) होगा।
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भगवान श्रीराम (Shri Ram) के दर्शन मात्र के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु अयोध्या आते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रामनवमी का दिन राम मंदिर के लिए बेहद खास होगा जिसकी एक वजह सूर्य तिलक भी है तो चलिए विस्तार से समझते हैं कि सूर्य तिलक होता क्या है और सूर्य तिलक (Surya Tilak) कब और कैसे किया जाएगा। सूर्य तिलक एक धार्मिक और प्रतीकात्मक परंपरा है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, त्रेता युग में जन्में भगवान श्रीराम सूर्यवंशी थे, इसलिए उन्हें सूर्य तिलक (Surya Tilak) दिए जाने की परंपरा है।

इस दौरान सूर्य देव स्वयं भगवान राम (Shri Ram) के मस्तक पर सूर्य तिलक (Surya Tilak) करते हैं। इसे भगवान श्रीराम के प्रति आस्था और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। दरअसल मंदिर निर्माण के समय सूर्य तिलक का पूरा सिस्टम तैयार किया गया। मंदिर निर्माण के समय 3 दर्पणों का इस्तेमाल किया गया। पहला दर्पण मंदिर के शिखर पर मौजूद है। जैसे ही दोपहर 12 बजे इस पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो उन्हें 90 डिग्री रिफ्लेक्ट कर एक पाइप की मदद से दूसरे दर्पण तक लाया गया और उसे फिर पीतल के पाइप की मदद से तीसरे दर्पण तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद ही सूर्य किरणें रामलला के ललाट पर पड़ती हैं।
सूर्य किरणें जब पाइप से गुजरते हुए रामलला के माथे पर पड़ती हैं तो 75एमएम का सुर्कलर बनता है। कुछ मिनटों तक सूर्य किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ती हैं। यह पूरा प्रयोग बिना बिजली के किया जाता है। आपको बता दें कि इसमें इस्तेमाल किए लेंस और ट्यूब को बंगलूरू की कंपनी ऑप्टिका ने तैयार किया है।
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