डेस्क। काबा (Kaaba) सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का (Mecca) में स्थित है। यह मुस्लिमों (Muslims) के लिए एक पवित्र स्थान है जहां हर साल बड़ी संख्या में लोग जाते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि काबा में लाइट (light) क्यों नहीं है? इसके अलावा अंदर कोई खिड़की नहीं है सिर्फ एक दरवाजा है। यहां छत से दो लालटेन जैसी लाइटें लटक रही हैं।
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बताया जाता है कि इसके (Kaaba) अंदर लाइट न लगाए जाने के पीछे इसकी पवित्रता है। इसके अंदर वातावरण को सादगीपूर्ण और शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए कृत्रिम रोशनी नहीं लगाई जाती। यह एक तरह से ध्यान और इबादत के माहौल को बनाए रखने में मदद करता है। आज भी उन्हीं पुरानी परंपराओं को निभाया जा रहा है जो सदियों पुरानी है।
काबा (Kaaba) के पूर्वी कोने में एक छोटा सा काला पत्थर लगा हुआ है। यह दिखने में भले ही छोटा है लेकिन इसका महत्व बड़ा है। यह पत्थर चारों ओर से चांदी के फ्रेम में जड़ा हुआ है। अरबी भाषा में इस पत्थर को अल-हजरु अल-अस्वद कहा जाता है। इस पत्थर के पीछे की कहानी के बारे में कई तरह के किस्से मशहूर हैं। लेकिन सच्चाई के बारे में कोई ठोस प्रमाण नहीं है।

इस पवित्र काले पत्थर को लेकर कई कहानियों में एक कहानी ऐसी है कि यह धरती पर आया धूमकेतु है। कुछ मान्यताओं में इसे चांद का टुकड़ा कहा गया है जो चांद से टूटकर धरती पर आया है। इस काले पत्थर को चूमने की परंपरा इसलिए बन गई कि मोहम्मद साहब जब काबा की यात्रा पर आए तो इन्होंने इसे चूमा था। इसकी वजह यह थी कि काबा कई बार बना और पैगम्बर इब्राहिम द्वारा बनवाए गए काबा का एक मात्र अवशेष यह काला पत्थर बचा था। मोहम्मद साहब की हज यात्रा के बाद से ही यहां (Kaaba) पूर्व दिशा में लगा काला पत्थर हाजियों के लिए खास बन गया। आपको बता दें मोहम्मद साहब ने अपने जीवन काल में केवल एक बार हज किया था।
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