डेस्क। इस समय आम (Mango) का सीजन चल रहा है और ऐसे में जब आप बाजार (market) जाते हैं तो कई वैरायटी के आम दुकानों पर बिक रहे होते हैं, जिनमें से “लंगड़ा आम” (Langda Aam) वैरायटी काफी ज्यादा फेमस है। देश भर में इस किस्म के आम की काफी ज्यादा डिमांड है। क्या आपने कभी गौर किया है कि इसका नाम थोड़ा अजीब है? आखिर क्यों इस आम को “लंगड़ा आम” कहा जाता है? दरअसल इसके पीछे एक कहानी है; आइए जानते हैं।
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लंगड़ा आम की पैदावार की शुरुआत उत्तर प्रदेश के बनारस (Banaras) से हुई बताई जाती है। कहा जाता है कि बनारस के एक छोटे से शिव मंदिर में एक पुजारी रहा करता था। एक बार उस मंदिर में एक साधु आए और उन्होंने मंदिर के परिसर में आम के दो छोटे पौधे लगाकर उस पुजारी से कहा कि जब भी इन पौधों का फल आया करेगा, उसे सबसे पहले भगवान शंकर पर चढ़ाकर भक्तों में बांट देना। पुजारी ने ऐसा ही किया।
साधु ने पुजारी से पेड़ की कलम और गुठली किसी को देने से भी मना किया था। पुजारी ने इस बात का भी पूरा ख्याल रखा, उसने किसी को भी उस आम (Mango) की गुठली या कलम नहीं दी। धीरे-धीरे समय बीतता गया और पूरे बनारस में मंदिर वाले आम की चर्चा होने लगी। इसकी खबर काशी नरेश को लगी तो वो भी वहां पहुंचे, उन्होंने आम के फल को भगवान शिव को अर्पित करने के बाद उन पेड़ों का मुआयना किया और पुजारी से आग्रह किया कि महल के बगीचे में लगाने के लिए वो आम (Mango) की कलम राज्य के प्रधान माली को दे दें। पुजारी ने कहा कि वो भगवान से प्रार्थना करेंगे और उनके निर्देश पर महल आकर आम की कलम दे देंगे। रात को पुजारी के सपने में आकर भगवान शिव ने आम की कलम राजा को देने के लिए कहा।

उसके अगले ही दिन पुजारी आम के प्रसाद को लेकर राजमहल गया और राजा को आम (Mango) की कलम सौंप दी, जिन्हे बगीचे में लगा दिया गया। कुछ ही सालों में ये पौधे से पेड़ बन गए और धीरे-धीरे पूरे बनारस से बाहर भी आम की फसल होने लगी और आज यह देशभर में सबसे पॉपुलर आम की वैरायटी है। दरअसल, साधु ने जिस पुजारी को आम के पेड़ सौंपे थे, वो दिव्यांग था। उन्हें लोग ‘लंगड़ा पुजारी’ के नाम से जानते थे. इसलिए इस आम की किस्म का नाम भी ‘लंगड़ा आम’ पड़ गया।
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