डेस्क। बीयर (beer) दुनिया के सबसे पुराने और लोकप्रिय ड्रिंक्स में से एक है। इसे बनाने की प्रक्रिया हजारों साल पुरानी है लेकिन समय के साथ इसमें कई तरह के प्रयोग और बदलाव किए गए। आमतौर पर बीयर जौ, हॉप्स, पानी और यीस्ट से तैयार की जाती है। हालांकि कई बार इसमें चीनी भी मिलाई जाती है।
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सबसे पहले बीयर बनाने की प्रक्रिया को समझना जरूरी है। जब जौ को पानी में भिगोकर और अंकुरित करके माल्ट बनाया जाता है तो उसमें प्राकृतिक शर्करा पैदा होती है। यही शर्करा फर्मेंटेशन के दौरान यीस्ट की मदद से अल्कोहल और कार्बन डाइऑक्साइड में बदलती है। इस प्रक्रिया से बीयर में उसका स्वाद और हल्का झाग बनता है लेकिन कई बार ब्रुअरीज अतिरिक्त चीनी मिलाती हैं ताकि अल्कोहल का लेवल और स्वाद हल्का किया जा सके।

चीनी मिलाने के पीछे कई कारण होते हैं। सबसे बड़ा कारण है अल्कोहल का कंटेंट बढ़ाना। जब साधारण माल्ट पर्याप्त शर्करा नहीं देता, तो अतिरिक्त चीनी मिलाने से यीस्ट को और ज्यादा फीड मिलता है। इससे अल्कोहल की मात्रा बढ़ जाती है और बीयर का असर ज्यादा स्ट्रॉन्ग हो सकता है। दूसरा कारण है स्वाद और कलर में बैलेंस करना। कुछ बीयर स्टाइल जैसे बेल्जियन एले या लाइट लेगर में चीनी का इस्तेमाल किया जाता है ताकि ड्रिंक ज्यादा स्मूद और ड्राई लगे।
इसके अलावा चीनी बीयर को हल्का करने में मदद करती है। माल्ट से बनी बीयर कई बार भारी और मीठी लग सकती है। ऐसे में ब्रुअर्स चीनी मिलाकर उसे बैलेंस करते हैं। इससे बीयर की बॉडी पतली हो जाती है और यह पीने में ज्यादा क्रिस्प और क्लीन स्वाद देती है। हालांकि ज्यादा चीनी मिलाने से बीयर का स्वाद आर्टिफिशियल या मीठा लग सकता है।
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