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Wednesday, April 2, 2025

नवरात्रि में क्यों जरूरी है पान के पत्ते चढ़ाना, शिव-शक्ति से जुड़ी है कहानी

धर्म डेस्क। नवरात्रि (Navratri) और पान के पत्तों का विशेष कनेक्शन है, विशेष रूप से पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में। नवरात्रि (Navratri) के दौरान देवी दुर्गा (Goddess Durga) की पूजा होती है और इस समय कई जगहों पर पान के पत्तों का उपयोग किया जाता है। पान के पत्ते न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं, बल्कि ये शुभता और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं बल्कि पान के पत्ते (betel leaves) शुद्धता और स्वास्थ्य का प्रतीक होते हैं। पूजा में इनका उपयोग देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।

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नवरात्रि (Navratri) के दौरान देवी दुर्गा (Goddess Durga) के नौ रूपों की पूजा होती है। हर दिन अलग-अलग देवी की पूजा की जाती है और पान के पत्तों का उपयोग उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। पान के पत्ते शिव और शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं। नवरात्रि (Navratri) में जब शक्ति की पूजा होती है तो पान के पत्तों (betel leaves) का उपयोग विशेष रूप से होता है ताकि ऊर्जा और शक्ति का संचार हो सके।

एक और कथा के अनुसार पान के पत्ते पार्वती माता की पूजा में खासतौर पर चढ़ाए जाते थे क्योंकि वह पत्ते उनके रूप और सौंदर्य की प्रतीक माने जाते थे। शिव जी ने माता पार्वती को आशीर्वाद दिया कि जो भी श्रद्धालु इन पत्तों का उपयोग करेगा, उसकी पूजा में विशेष फल मिलेगा। इसके अतिरिक्त पान के पत्ते (betel leaves) शिव और शक्ति की एकता को दर्शाते हैं। पान का पत्ता एक ही पत्ते में दोनों पक्षों—शिव और शक्ति—को समाहित करने का प्रतीक है। पान के पत्ते में एक तरह से यह दोनों शक्तियां व्याप्त हैं और इनका उपयोग पूजा में किया जाता है ताकि देवी-देवता प्रसन्न हों और आशीर्वाद दें।

प्राचीन हिंदू ग्रंथ स्कंद पुराण में पान के पत्ते (betel leaves) का उल्लेख किया गया है। पान के पत्तों को पूजा में इस्तेमाल करने के पीछे समुद्र मंथन से जुड़ी एक कहानी का जिक्र किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अमरता का अमृत प्राप्त करने के लिए देवताओं और राक्षसों द्वारा समुद्र मंथन से दिव्य वस्तुएं प्राप्त हुईं, जिनमें से एक पान का पत्ता भी था। इस पत्ते का उल्लेख महाभारत जैसे महाकाव्यों में भी मिलता है, जिसके कारण इसे धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा बनाना अनिवार्य माना जाता है। मान्यता है कि कि पान के पत्ते के विभिन्न भागों में अलग-अलग देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए पूजा में चढ़ाने की आवश्यकता होती है, जिससे लोगों को मनचाहा फल मिलता है।

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