वाराणसी। वाराणसी (Varanasi), जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है। यहां की गंगा आरती (Ganga Aarti) विश्व प्रसिद्ध है, जो एक ऐसा भव्य और अलौकिक अनुभव है, जिसे आसानी से भूलाया नहीं जा सकता है। यह हर साल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है। हालांकि वाराणसी में लगभग 84 घाट हैं, फिर भी सबसे प्रसिद्ध और भव्य गंगा आरती केवल दशाश्वमेध (Dashashwamedh Ghat Aarti) और अस्सी घाट (Assi Ghat Ganga Aarti) पर ही आयोजित की जाती है।
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दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat) काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब स्थित है, जो भगवान शिव को समर्पित है। गंगा आरती (Ganga Aarti) अप्रत्यक्ष रूप से भगवान शिव की भी आराधना है, क्योंकि गंगा को उनकी जटाओं से बहने वाली माना जाता है। इतना ही नहीं, दशाश्वमेध घाट का नाम ‘दस अश्वमेध यज्ञ’ के नाम पर पड़ा है, जो माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने यहां दस अश्वमेध यज्ञ किए थे।
अस्सी घाट (Assi Ghat) वाराणसी के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण घाटों में से एक है। यह अस्सी नदी और गंगा नदी के संगम पर स्थित है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है। आपको बता दें अस्सी घाट से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा ने शुंभ और निशुंभ नामक राक्षसों का वध करने के बाद अपनी तलवार यहीं फेंकी थी, जिससे अस्सी नदी का उद्गम हुआ।

दशाश्वमेध और अस्सी घाट दोनों ही अपेक्षाकृत चौड़े और खुले हैं, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को आरती देखने और उसमें शामिल होने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है। अन्य घाटों की तुलना यह पर्यटकों के लिए ज्यादा बेहतर है। हालांकि यह सच है कि वाराणसी के अन्य घाटों पर भी छोटे पैमाने पर गंगा आरती (Ganga Aarti) का आयोजन होता है, लेकिन वे दशाश्वमेध और अस्सी घाट जितनी भव्य नहीं होती हैं लेकिन भक्तों के बीच उनका भी अपना महत्व है।
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