पटना। लालू प्रसाद यादव की बेटी Rohini Acharya ने राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से नाता तोड़ने की घोषणा सोशल मीडिया एक्स पर की। रोहिणी आचार्य, लालू और राबड़ी देवी के नौ बच्चों में से एक हैं। ये तेजस्वी और तेजप्रताप की बड़ी और सभी भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर हैं।
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रोहिणी आचार्य ने आज भले ही अपने परिवार से नाता तोड़ लिया हो, लेकिन कभी वो परिवार के लिए कुछ भी कर सकती थीं। उन्होंने अपने पिता लालू यादव की जान बचाने के लिए अपनी किडनी तक दे दी थी। रोहिणी का सरनेम ‘यादव’ की जगह ‘आचार्य’ कैसे पड़ा, इसके पीछे भी बड़ी दिलचस्प कहानी है। लालू परिवार को जानने वाले बताते हैं कि लालू यादव ने अपने बच्चों का नामकरण में ज्योतिषियों की सलाह को काफी महत्व दी है। रोहिणी के नामकरण में भी इसका असर दिखता है।

रोहिणी का जन्म 5 जनवरी 1980 को पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में हुआ था। उनके जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र चल रहा था। रोहिणी नक्षत्र को सौम्य स्वभाव, संवेदनशीलता और नेतृत्व का सूचक माना जाता है, इसलिए पिता लालू यादव ने नाम रोहिणी रख दिया। वहीं सरनेम में ‘यादव’ की जगह ‘आचार्य’ लगाने का भी एक विशेष कारण है।
दरअसल रोहिणी के जन्म में कुछ समस्याएं आ गई थीं। डॉक्टरों ने लालू यादव को ऑपरेशन कराने की सलाह दी। पटना में स्थित PMCH की मशहूर महिला डॉक्टर कमला आचार्य ने राबड़ी देवी का सफल ऑपरेशन किया। ऑपरेशन सफल होने पर जब लालू यादव ने डॉक्टर कमला से उनकी फीस पूछी तो उन्होंने कहा कि बेटी को उनका सरनेम दे दें, यही उनकी फीस होगी। डॉक्टर कमला का सरनेम जोड़कर बेटी का नाम रोहिणी आचार्य पड़ा।
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