लाइफस्टाइल डेस्क। क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि जब आप सर्दी-जुकाम (cold) से परेशान होते हैं तो आपकी आवाज अचानक भारी, कर्कश या बेमेल-सी लगने लगती है? जैसे किसी और की आवाज आपके गले से निकल रही हो। दरअसल यह कोई मामूली बात नहीं, बल्कि शरीर के भीतर चल रही एक दिलचस्प प्रक्रिया का असर है।
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जब सर्दी या वायरल इन्फेक्शन शरीर को जकड़ लेता है, तो इसका असर सिर्फ नाक या गले तक सीमित नहीं रहता। आवाज बनाने वाली वोकल कॉर्ड्स यानी स्वर-तंत्रिकाएं भी इसकी चपेट में आ जाती हैं। ये स्वर-तंत्रिकाएं आपके गले में होती हैं, जो हवा के गुजरने पर कंपन करती हैं और आवाज बनाती हैं। जब इनमें सूजन आ जाती है, जिसे चिकित्सीय भाषा में लैरिंजाइटिस कहा जाता है- तो ये मोटी और भारी हो जाती हैं। नतीजा यह कि उनका कंपन धीमा पड़ जाता है और आवाज गहरी या बैठी हुई सुनाई देती है।

सर्दी के दौरान गले में जमा होने वाला बलगम भी आपकी आवाज को बदल देता है। यह परत स्वर-तंत्रिकाओं पर जम जाती है, जिससे वे खुलकर कंपन नहीं कर पातीं। आवाज में खराश या भिन्न स्वर आने का एक बड़ा कारण यही होता है। कई बार सर्दी ठीक हो जाने के बाद भी, अगर म्यूकस लंबे समय तक बना रहे, तो आवाज नॉर्मल होने में और वक्त लग सकता है।
जब गला खराब होता है, तो हम बार-बार खांसने या गला साफ करने की कोशिश करते हैं। लेकिन यह आदत उल्टा असर डाल सकती है। ऐसा करने से वोकल कॉर्ड्स पर दबाव बढ़ता है और उनमें खिंचाव आता है। परिणामस्वरूप, आवाज और थकी या फटी हुई लगने लगती है।
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