डेस्क। वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में हर दिशा और हर कोण का महत्व बताया गया है। अगर आप दिशा (direction) की विशेषता के अनुसार उस दिशा में काम करते हैं तो आपको उसका अच्छा रिजल्ट भी जरूर मिलता है। वास्तु शास्त्र में आठ दिशाएं बताई गई हैं और इन दिशाओं में से एक है ईशान दिशा या ईशान कोण (Ishaan Kon)। अक्सर ज्योतिषाचार्य और पंडित जी हमको इस दिशा में पूजा करने या मंत्र जप करने की सलाह देते हैं।
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इसका कारण क्या है और क्यों इस दिशा को बेहद शुभ माना जाता है? आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं। वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार घर, दफ्तर या फिर किसी भी भवन की उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण (Ishaan Kon) कहा जाता है। इस दिशा को पवित्र दिशाओं में से एक माना गया है। इस दिशा में बैठकर अक्सर धार्मिक और मांगलिक कार्यक्रम किये जाते हैं।

वास्तु (Vastu Shastra) के अनुसार इस दिशा में बैठकर अगर मंत्र जप किये जाएं तो व्यक्ति को जल्दी सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं। धार्मिक दृष्टि से ईशान कोण का क्या महत्व है आइए अब इस बारे में जानते हैं। धार्मिक दृष्टि से ईशान कोण (Ishaan Kon) को देवताओं का निवास स्थल माना जाता है। इसीलिए ईशान कोण (Ishaan Kon) में घर या दफ्तर का पूजा स्थल बनाने की सलाह ज्योतिषाचार्यों द्वारा दी जाती है और इस दिशा में बैठकर पूजा करने को कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिशा में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है। इसलिए वास्तु शास्त्र में भी और धर्म शास्त्रों में भी इस दिशा को बेहद शुभ और मंगलकारी माना गया है। अगर आप इस दिशा में साफ-सफाई बनाकर रखते हैं, घर का पूजा स्थल यहां बनाते हैं तो आपके जीवन में भी सकारात्मकता बनी रहती है।
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