डेस्क। केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना (caste census) कराने का ऐतिहासिक फैसला लिया है, जिससे देश की राजनीति में हलचल मच गई है। वर्षों से लंबित OBC जनसंख्या के आंकड़े जुटाने की मांग को अब मंजूरी मिल गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि जनगणना इस साल शुरू होकर 2026 तक चल सकती है लेकिन जनगणना से पहले यह जान लेते हैं कि आखिर देश (country) में किस जाति के लोग सबसे ज्यादा रह रहे हैं।
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जातिगत जनगणना (caste census) का सीधा मतलब है कि देश में किस जाति के कितने लोग रहते हैं, इसको लेकर स्पष्ट आंकड़े रखे जाएं। वैसे तो देश में पहले भी जाति आधारित जनगणना हो चुकी है लेकिन उस दौरान OBC को उसमें शामिल नहीं किया गया था। इसीलिए जब भी जातिगत जनगणना (caste census) की बात की जाती है तो सबसे पहले ओबीसी का नाम लिया जाता है। इस बार जो जाति के आधार पर जनगणना की जाएगी उसमें भी OBC पर नजर होगी।

साल 2011 में जब जनगणना की गई थी, उस वक्त 46 लाख जातियां सामने आई थीं। ऐसा माना जाता है कि देश में सबसे ज्यादा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) है। वहीं साल 1931 में जो जनगणना (caste census) हुई थी उसमें पिछड़ी जातियों की आबादी 52 फीसदी से ज्यादा है। असल में जब देश में मंडल कमीशन लागू हुआ था, उसी वक्त यह बताया गया था कि देश में ओबीसी वर्ग 52 फीसदी है। तब वीपी सरकार जिस 52 फीसदी के आंकड़े पर पहुंची थी उसका आधार 1931 का सेंसस था। हालांकि यह आंकड़ा तभी सही माना जा सकता है, जब दोबारा से जनगणना की जाए।
जातिगत जनगणना (caste census) का जो लोग समर्थन करते हैं, उनका मानना है कि जनगणना से ही जाति के बारे में पता चलेगा। जनगणना के बाद ही सामाजिक, शैक्षणिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को लेकर चीजें स्पष्ट होती हैं। इसके बाद ही ओबीसी जातियां अपने हिसाब से सरकार से चीजें मांग सकती हैं।
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