नई दिल्ली। हाल ही में हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा (Jyoti Malhotra) की गिरफ्तारी ने जासूसी (espionage) के मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। भारत में जासूसी एक गंभीर अपराध माना जाता है जो देश की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालता है। भारतीय कानूनों (Indian law) में जासूसी से संबंधित अपराधों के लिए सख्त प्रावधान (punishment) हैं, जिनमें मुख्य रूप से ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923 और भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 शामिल हैं।
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फिलहाल आइए जानते हैं कि जासूसी के लिए क्या सजा (punishment) मिल सकती है और भारतीय कानून (Indian law) इस बारे में क्या कहता है। भारत में जासूसी के मामलों में मुख्य रूप से दो कानून लागू होते हैं। ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923 के अंतर्गत धारा 3 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति देश की सुरक्षा से जुड़ी जानकारी (जैसे सैन्य योजनाएं, हथियार, या रक्षा ठिकाने) किसी विदेशी एजेंट या शत्रु राष्ट्र को देता है, तो उसे 14 साल तक की सजा (punishment) हो सकती है। गंभीर मामलों में आजीवन कारावास भी संभव है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 152 के तहत भारत की प्रभुता, एकता या अखंडता को खतरे में डालने वाली गतिविधियों को कवर करती है। इसमें जासूसी जैसी गतिविधियां शामिल हो सकती हैं और सजा के रूप में मृत्युदंड या आजीवन कारावास तक हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने या सैन्य जानकारी साझा करने में शामिल है, तो उसे मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा (punishment) हो सकती है।

भारत में जासूसी के मामलों की कानूनी प्रक्रिया अत्यंत सख्त और व्यवस्थित है। चूंकि जासूसी एक संज्ञेय अपराध है, पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है। जांच प्रक्रिया में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW), और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) जैसी खुफिया एजेंसियां शामिल हो सकती हैं, जो सबूतों को गहनता से विश्लेषण करती हैं। ऐसे मामले प्रायः फास्ट-ट्रैक कोर्ट में चलाए जाते हैं ताकि शीघ्र न्याय सुनिश्चित हो। यदि आरोपी को दोषी ठहराया जाता है तो वह उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर कर सकता है, जिसकी प्रक्रिया में औसतन 20 महीने का समय लग सकता है।
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