नई दिल्ली। संसद भवन में सोमवार सुबह INDIA गठबंधन की बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग लाने की संभावना पर चर्चा हुई। गठबंधन के नेताओं ने माना कि जरूरत पड़ने पर नियमों के तहत महाभियोग प्रस्ताव लाकर सीईसी (Chief Election Commissioner) को पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
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ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या Chief Election Commissioner के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है और इसकी क्या प्रक्रिया है? मुख्य चुनाव आयुक्त को उनके पद से हटाने के लिए लोकसभा या राज्यसभा, दोनों में से किसी भी सदन में प्रस्ताव लाया जा सकता है। इस प्रस्ताव को सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित होना होगा।
इसके बाद, प्रस्ताव दूसरे सदन में जाएगा और वहां भी दो-तिहाई बहुमत से पारित होना अनिवार्य है। दोनों सदनों द्वारा महाभियोग प्रस्ताव पारित होने के बाद ही राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने का आदेश जारी कर सकते हैं। दरअसल मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) और चुनाव आयुक्तों को हटाने की प्रक्रिया भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से निर्धारित है। संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को एक स्वतंत्र संस्था का दर्जा देता है।

मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान ही है। इसका अर्थ है कि उन्हें केवल महाभियोग के माध्यम से ही हटाया जा सकता है। आपको बता दें विपक्ष ने SIR और कथित वोट चोरी के खिलाफ कई दिनों से चला आ रहा अपना विरोध और तेज कर दिया है। इंडिया ब्लॉक के सांसद संसदीय दल बिहार में चल रहे एसआईआर के खिलाफ पार्टी के सदस्य भाजपा और चुनाव आयोग के खिलाफ वोट चोरी के आरोप लगा रहे हैं।
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