नई दिल्ली। चीन, पाकिस्तान (Pakistan) और अफगानिस्तान (Afghanistan) ने मिलकर एक बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को अफगानिस्तान तक बढ़ाने पर सहमति जताई है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब क्षेत्र में तनाव है। यह चीन की आर्थिक ताकत को बढ़ाने वाला महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। अफगानिस्तान के चीन (China) के प्रोजेक्ट में शामिल होने से भारत की टेंशन बढ़ गई है।
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सीपीईसी (CPEC) चीन का बड़ा प्रोजेक्ट है। इसका मकसद पाकिस्तान के बुनियादी ढांचे को सुधारना और दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करना है। इसके तहत सड़कें, रेलवे और ऊर्जा परियोजनाएं बनाई जा रही हैं। हालांकि भारत का कहना है कि सीपीईसी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है, जो भारत का हिस्सा है। इसलिए भारत इस प्रोजेक्ट का विरोध करता है।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) एक बहुत बड़ी वाणिज्यिक परियोजना है, जिसका उद्देश्य दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान (Pakistan) से चीन के उत्तर-पश्चिमी स्वायत्त क्षेत्र शिंजियांग तक ग्वादर बंदरगाह, रेलवे और हाइवे के माध्यम से तेल और गैस की कम समय में वितरण करना है। चीन की शी जिनपिंग की सरकार ने साल 2014 में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की आधिकारिक रूप से घोषणा की।

अब अफगानिस्तान (Afghanistan) का इसमें शामिल होना भारत की चिंताओं को और बढ़ाएगा।चीन इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति और प्रभाव को लगातार बढ़ा रहा है। सीपीईसी का विस्तार अफगानिस्तान में उसकी पैठ को और मजबूत करेगा। यह भारत के लिए एक रणनीतिक चुनौती है। सीपीईसी अफगानिस्तान को आर्थिक लाभ प्रदान कर सकता है। इससे वह चीन और पाकिस्तान पर ज्यादा निर्भर हो सकता है।
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