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Friday, May 2, 2025

‘ट्यूबलेस’ या फिर ‘ट्यूब’ कौन से टायर होते हैं ज्यादा बेहतर, जानें दोनों में फर्क

डेस्क। नई-नई टेक्नोलॉजी (technology) के चलते अब गाड़ियां चलाना काफी आसान हो गया है। न सिर्फ उनके अंदर की सुविधा बड़ी है बल्कि गाड़ियों के टायरों के लिए भी नई टेक्निक आ गई है। सामान्य तौर पर गाड़ियों में दो तरह के टायर लगे होते हैं। एक तो ट्यूब टायर (tube tyre) और एक ट्यूबलेस टायर (Tubeless tyres)। अब अमूमन सभी गाड़ियों में ट्यूबलेस टायर लगे होते हैं तो वहीं कुछ लोग गाड़ियों में ट्यूब टायर पसंद करते हैं।

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यह टायर बाइक और कार दोनों में ही लगे होते हैं। कुछ लोगों को ट्यूबलेस टायर (Tubeless tyres) और ट्यूब टायर में ज्यादा फर्क नहीं मालूम होता। चलिए जानते हैं दोनों टायरों में क्या फर्क होता है? ट्यूब टायर ग्रामीण इलाकों में ज्यादा इस्तेमाल होते हैं इनमें रबर का एक अंदरूनी ट्यूब होता है जिसमें हवा भरी जाती है। अगर कोई कील लग जाए तो ट्यूब फट जाती है और हवा तेजी से निकलती है।

ट्यूबलेस टायर के अंदर कोई ट्यूब नहीं होती, बल्कि हवा सीधे टायर और रिम के बीच रहती है खास तकनीक से टायर और रिम एकदम सील रहते हैं। अगर कील भी लग जाए तो हवा धीरे-धीरे निकलती है, जिससे वक्त मिल जाता है। अगर आप शहरों में या हाईवे पर गाड़ी चलाते हैं ट्यूबलेस टायर (Tubeless tyres) का प्रयोग करें। अगर आप कच्चे, गड्ढेदार रास्तों पर गाड़ी चलाते हैं ट्यूब टायर (tube tyre) लेकिन आजकल लगभग सभी नई गाड़ियाँ ट्यूबलेस टायर के साथ ही आती हैं।

ट्यूब टायर और ट्यूबलेस टायर (Tubeless tyres) की बात की जाए तो दोनों के इस्तेमाल में काफी फर्क होता है; जहां ट्यूब टायर को पंचर होने पर आसानी से जुडा जा सकता है इसमें ज्यादा खर्चा नहीं आता और अच्छी ग्रिप बन जाती है लेकिन वही ट्यूबलेस टायर की बात की जाए तो उसमें पंचर होने की समस्या बहुत कम होती है। यह लंबे समय तक चलता है। अगर यह पंचर हो भी जाता है तो उसकी हवा बेहद धीरे-धीरे निकलती है। जिससे आपको यात्रा पूरी करने का मौका मिल जाता है। यह गाड़ी को भी काफी हल्का भी रखता है। अगर दोनों के खर्चे की बात की जाए तो वह लगभग समान ही हैं।

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