डेस्क। गोवा की फेनी… एक ऐसी शराब (liquor), जिसकी खुशबू में समंदर की नमी, इतिहास की परतें और लोककथाओं का रहस्य छिपा है। कहा जाता है कि इसे कभी सिरदर्द और बदन दर्द ठीक करने के लिए बनाया गया था, लेकिन वक्त ने इसे नशेड़ियों की फेवरेट ड्रिंक बना दिया। आईये आपको बताते हैं ऐसा कैसे हुआ?
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इसके पीछे मुख्य कारण था काजू से बनने वाला उरराक, जो मौसम में केवल कुछ सप्ताह मिलता है। उरराक की लोकप्रियता ने लोगों को फेनी की ओर खींचा और इसका स्वाद धीरे-धीरे लोगों के रोज के नशे का हिस्सा बन गया। इसके बाद बार और रेस्टोरेंट ने इसे आकर्षक कॉकटेल में इस्तेमाल करना शुरू किया, जिससे यह युवाओं में और ज्यादा पॉपुलर हो गई।

फेनी की एक खासियत यह भी है कि यह अन्य शराबों की तरह भारी हैंगओवर नहीं देती। यही विशेषता इसे फेवरेट बनाती चली गई। माना जाता है कि गोवा में फेनी को सबसे पहले सिरदर्द, पेट दर्द और सर्दी-जुकाम जैसी परेशानियों को दूर करने के लिए बनाया गया था। इसके तेज स्वाद और गर्म असर ने इसे घरेलू उपचार का लोकप्रिय हिस्सा बना दिया। समय बीता, गोवा में पुर्तगालियों का असर बढ़ा और फेनी का सफर भी बदल गया।

खास बात यह कि इसकी असली रेसिपी आज भी गोवा के कुछ चुनिंदा परिवारों के पास ही सुरक्षित है। फेनी बनाने की विधि पूरी तरह पारंपरिक है। काजू के फर्मेंटेड रस को लकड़ी की भट्टियों पर तीन बार डिस्टिल किया जाता है, जिससे इसका खास झागदार टेक्सचर बनता है। यही झाग ‘फेनी’ नाम की पहचान बना। 2009 में फेनी को GI टैग मिला, जिससे यह साबित हुआ कि यह केवल शराब नहीं, बल्कि गोवा की आधिकारिक पहचान है।
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