राजस्थान। राजस्थान (Rajasthan) में कई ऐसे किले हैं, जिनका अपना इतिहास है। ऐसे ही राजस्थान के अलवर (Alwar) शहर में स्थित एक किला है, जो अपने अनोखे नाम से सभी का ध्यान आकर्षित करता है। एक वक्त ऐसा भी था जब इस किले में घूमने के लिए क्षेत्र के एसपी से परमिशन लेनी पड़ी थी। हालांकि अब यह नियम बदल चुका है। अब इस किले (fort) में एंट्री करने के लिए रजिस्टर पर अपना नाम दर्ज करना पड़ता है।
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इस अनोखे किले (fort) में 6 एंट्री गेट हैं। इस किले को अलवर फोर्ट और बाला किला के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा भी इसका एक नाम है, जो इसे खास बनाता है। इस किले को कुंवारा किला (Kunwara Fort) भी कहा जाता है। अब आप सोचेंगे कि भला एक किले का नाम कुंवारा किला कैसे हो सकता है। इसके पीछे के दिलचस्प कहानी है। आइए जानें, कुंवारा किला को यह नाम कैसे मिला?

अलवर के इस अनोखे किले (fort) की बनावट भी बहुत ही खास है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि कोई दुश्मन भी इसमें से बचकर ना निकल पाए। इसे बहुत ही ऊंचाई पर बनाया गया है। इस किले में 446 छेद बने हैं, जिससे दुश्मनों पर गोली चलाई जाती थी। इस किले में 15 बड़े टॉवर और 51 छोटे टॉवर हैं, जिससे दुश्मनों की निगरानी रखी जाती थी। इन टॉवर्स को बुर्ज कहा जाता है। इतनी तैयारी के बाद भी इस किले में कभी कोई युद्ध ही नहीं हुआ। यही कारण ही कि इसे कुंवारा किला कहा जाता है। इसे कोई भी जीतकर अपना बना ही नहीं सका, इसी कारण इसे अविवाहित माना जाता है।

राजपुताना और मुगलिया शैली से बना यह किला राजस्थान के सबसे बड़े किलों (fort) में गिना जाता है। इस किले का निमार्ण अलवर शहर की बसावट से भी पहले हो चुका था। इसे अलवर की सबसे पुरानी इमारतों में गिना जाता है। बता दें कि चीन की दीवार के बाद राजस्थान के कुंभलगढ़ (Kumbhalgarh) की दीवार सबसे बड़ी मानी जाती है। इसके बाद, तीसरे नंबर पर आती है, बाला किले यानी कुंवारे किले की दीवार।
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