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Friday, July 26, 2024

‘द गोट लाइफ’ रिव्यू: रोंगटे खड़े कर देगी खाड़ी देश में एक गुलाम की कहानी

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एंटरटेनमेंट डेस्क। पृथ्‍वीराज सुकुमारन (Prithviraj Sukumaran) अभिनीत फिल्‍म (film) द गोट लाइफ (The Goat Life) केरल निवासी नजीब मु‍हम्‍मद की जिंदगी को चित्रित करती है, जिन्‍हें तीन साल तक खाड़ी देश के रेगिस्‍तान में गुलाम बनाकर रखा गया था। यह बेन्यामिन लिखित नजीब की आत्मकथा गोट डेज (Goat Days) पर आधारित है।

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रोंगटे खड़े कर देने वाली यह फिल्‍म उम्‍मीद का दामन न छोड़ने का संदेश भी देती है। फिल्म (film) के आरंभ में खानाबदोश की तरह दिखता नजीब (Prithviraj Sukumaran) मवेशियों के बर्तन में पानी पीते दिखता है। वहां से कहानी उसके अतीत में जाती है। केरल (Kerala) के कई अशिक्षित व्यक्तियों की तरह धन कमाने की इच्‍छा से नजीब अनाम खाड़ी देश जाता है। टूटी-फूटी अंग्रेजी बोलने वाला गांव का लड़का हाकिम (के आर गोकुल) भी साथ होता है। यहां पर वे रोजगार के बहाने धोखाधड़ी करने वालों का शिकार हो जाते हैं। एयरपोर्ट से कफील (तालिब अल बलुशी) दोनों को अपने साथ ले जाता है। अरेबिक भाषी कफील को अंग्रेजी समझ नहीं आती।

film में वह दोनों को अलग-अलग रखता है। नजीब अपने क्रूर नियोक्ता कफील के अलावा किसी के भी संपर्क में नहीं होता। पांचवीं कक्षा पास नजीब के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। भरपेट खाने के लिए वह तरसता है। अपने गांव में नदी में नहाने वाला नजीब (Prithviraj Sukumaran) रेगिस्‍तान में पानी की कमी की वजह से स्नान करने में असमर्थ रहता है। वह अकेले ही भेड़ बकरियों के झुंड और कुछ ऊंटों की देखभाल करता है। धीरे-धीरे उसका मानवता पर से विश्वास उठता जाता है और खुद को बकरियों में से एक के रूप में पहचानना शुरू कर देता है।

उसे पता ही नहीं चलता कि कितने दिन बीत गए हैं। कष्‍ट और मुश्किलों के बीच एक दिन अचानक हाकिम मिलता है। वह बताता है कि कफील की बेटी की शादी के दिन उसका अफ्रीकी दोस्‍त इब्राहिम (Jimmy Jean Louis) उन्‍हें सड़क तक पहुंचने में मदद करेगा। हालांकि यह सफर आसान नहीं होता। यह फिल्‍म (film) देखते हुए आगे क्‍या होगा यह जानने की जिज्ञासा बनी रहती है। आप परदे पर एकटक और अपलक उसे देखते हैं।

मसाला फिल्‍मों (film) की लीक से हट कर बनी इस फिल्‍म में पृथ्‍वीराज सुकुमारन (Prithviraj Sukumaran) निर्देशक ब्‍लेस्‍सी की कल्‍पना की उड़ान को पंख देते हैं। पृथ्‍वीराज ने नजीब की उलझन, मुश्किल, बेचारगी और दर्द को पूरी शिद्दत से पर्दे पर जीवंत किया है। ब्‍लेस्‍सी ने कठिन परिस्थितियों में नजीब के फंसने से लेकर निकलने और सरवाइव करने की कोशिश को मर्मस्‍पर्शी और संवेदनशील तरीके से दिखाया है। उन्‍हें पृथ्‍वीराज का भरपूर सहयोग मिला है।

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