एंटरटेनमेंट डेस्क। फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास में कुछ कलाकार ऐसे होते हैं जिनका चेहरा दुनिया कम पहचानती है, लेकिन उनका काम दर्शकों की यादों में गहराई से जुड़ा रहता है। ऐसे ही एक एक्टर रहे हैं हॉलीवुड के डेविड प्राउज हैं, एक ऐसे ब्रिटिश एक्टर जिन्होंने कई फिल्मों में काम किया लेकिन एक किरदार ने उन्हें शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया।
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साल 1977 में जब जॉर्ज लुकास स्टार वार्स बना रहे थे, उन्हें एक ऐसे कलाकार की जरूरत थी जो पर्दे पर लंबा, प्रभावशाली और डर पैदा करने वाला villain लगे…और यही वो पल था जिसने डेविड प्राउज की किस्मत बदल दी। उन्हें डार्थ वाडर का शरीर निभाने के लिए चुना गया। दिलचस्प बात यह है कि आवाज उनके पास नहीं थी। वह काम जेम्स अर्ल जोन्स को दिया गया। चेहरा भी नहीं दिखाया गया, नकाब के पीछे छिपा हुआ हर भाव सिर्फ शरीर की हलचल, चाल, मुद्रा और हथियार पकड़ने के अंदाज से ही प्रकट होना था।

न पर्दे पर उनका चेहरा दिखा और न ही उनकी आवाज सुनी गई, लेकिन उनकी मौजूदगी ने सिनेमा के सबसे आइकॉनिक विलन डार्थ वाडर को जीवंत बना दिया। 1 दिसंबर 2020 को उनका निधन हुआ और उनके साथ फिल्म इतिहास का एक अनोखा अध्याय भी शांत हो गया।
लेकिन दिक्कतों के बावजूद, डेविड प्राउज ने एक ऐसा व्यक्तित्व बनाया जो स्क्रीन पर आते ही दर्शकों को आतंकित कर देता था। उनके चलने के अंदाज में सैनिकों जैसी कठोरता, उनके कंधों की चौड़ाई में ताकत और उनकी तलवार पकड़ने के तरीके में गजब का कंट्रोल झलकता था। वे स्क्रीन पर चेहरा न दिखाते हुए भी इतिहास के सबसे यादगार विलन बन गए।
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