ढाका। दुनिया की राजनीति में नेता अक्सर अपने परिधान के जरिए संदेश देते हैं। Sheikh Hasina ने फैशन को कूटनीति का प्रभावी हथियार बना दिया और उनके पहनावे का यह अंदाज आज जामदानी डिप्लोमैसी के नाम से जाना जाता है। दुनिया भर के नेता जब फॉर्मल वियर में दिखाई देते हैं, ऐसे में शेख हसीना हर बार एक संदेश देती रहीं कि सांस्कृतिक पहचान ही सबसे बड़ा परिचय है।
यह भी पढ़ें-नरसंहार में खोया परिवार, भारत में शरण…शेख हसीना कैसे बनी सबसे पावरफुल महिला?
इंटरनेशनल मीटिंग्स से लेकर ग्लोबल समिट्स तक, उन्होंने जामदानी को अपना ‘सिग्नेचर स्टाइल’ बना लिया। उनकी हर उपस्थिति एक फैशन स्टेटमेंट बन जाती थी, जिसका संदेश भी साफ था कि जामदानी अब सिर्फ साड़ी नहीं रही, बल्कि बांग्लादेश की विरासत और शिल्प कौशल का ग्लोबल प्रतीक बन गई।
2014 में जब भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ढाका पहुंचीं थी, तो उन्होंने हसीना को रेशमी साड़ी भेंट की। इसके जवाब में हसीना ने जामदानी साड़ी भेंट की- यह छोटा-सा क्षण फैशन-डिप्लोमैसी का बड़ा उदाहरण बन गया। साल 2015 में अपनी दिल्ली यात्रा के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात के दौरान शेख हसीना ने सफेद-ग्रे जामदानी साड़ी पहनी, जो भारतीय मीडिया में चर्चा का विषय रही।

2019 में बाकू का एनएएम शिखर सम्मेलन वह पहला मौका था, जब जामदानी ने इतने महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंच पर जगह बनाई। हसीना का ट्रेडिशनल लुक विदेशी प्रतिनिधियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। साल 2022 में, चार दिन के भारत दौरे में उनके हर लुक ने बिजनेस लीडर्स और डिजाइनर्स का ध्यान खींचा। यह दौर जामदानी के वैश्विक उदय का टर्निंग पॉइंट माना जाता है। जामदानी की जड़ें लगभग 2000 साल पुरानी ढाका की बुनाई परंपरा में मिलती हैं। शेख हसीना की पहल के कारण जामदानी की मांग बढ़ी, निर्यात बढ़ा और कारीगरों को नई पहचान मिली।
Tag: #nextindiatimes #SheikhHasina #JamdaniSaree




