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Sunday, April 20, 2025

महाअष्टमी पर विंध्यधाम में उमड़ा सैलाब, श्मशान घाट पर हुई तंत्र साधना

डेस्क। आज चैत्र नवरात्र की अष्टमी (Maha Ashtami) तिथि पर महागौरी स्वरूपा मां विंध्यवासिनी (Vindhyavasini) के दर्शन से विंध्यधाम (Vindhyadham) में आस्था का संगम देखने को मिला। दर्शन-पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने पुण्य की कामना की। मंगला आरती के बाद भक्तों (devotees) के दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू हुआ, जो लगातार जारी रहा।

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चैत्र नवरात्रि (Navratri) की अष्टमी (Maha Ashtami) पर मां विंध्यवासिनी (Vindhyavasini) का दर्शन-पूजन करने के लिए सोमवार को ही देश भर से श्रद्धालु विंध्यधाम (Vindhyadham) पहुंच गए थे। रात में होटलों और गेस्ट हाउसों में विश्राम करने के बाद सुबह-सुबह गंगा स्नान कर विंध्यवासिनी (Vindhyavasini) के दर्शन के लिए मंदिर की ओर निकल पड़े और गर्भगृह के सामने कतार में लग गए। सुबह जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई।

सोमवार की रात महानिशा पूजा के चलते बड़ी संख्या में श्रद्धालु (devotees) विंध्यधाम (Vindhyadham) पहुंचे। मां विध्यवासिनी (Vindhyavasini), मां काली और मां अष्टभुजा का दर्शन करने के बाद उन्होंने शिवपुर स्थित रामेश्वरम मंदिर और तारा मंदिर में दर्शन-पूजन कर त्रिकोण परिक्रमा पूरी की। त्रिकोणीय मार्ग पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे। महानिशा की रात तंत्र साधना के लिए विंध्यधाम (Vindhyadham) में जगह-जगह तांत्रिकों का जमावड़ा होता था।

महानिशा में विंध्यधाम (Vindhyadham) में तंत्र साधना का अपना ही महत्व है। रामगया श्मशान घाट, तारा मंदिर, काली खोह, भैरो कुंड, चितवा खोह, मोतिया तालाब, गेरुआ तालाब आदि स्थानों पर साधक (devotees) ध्यान में लीन रहे। चैत्र नवरात्रि की अष्टमी के दिन विंध्य पर्वत शोभायमान था। त्रिकोण करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या अन्य दिनों की तुलना में दोगुनी थी। कालीखोह मंदिर से अष्टभुजा मंदिर होते हुए तारा मंदिर तक मार्ग पर दिन भर श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गयी।

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