नई दिल्ली। ब्रिटेन के प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (Oxford University) ने एक संत की 500 साल पुरानी कांस्य प्रतिमा (bronze statue) भारत को लौटाने पर सहमति जताई है, जिसके बारे में माना जाता है कि वह तमिलनाडु (Tamil Nadu) के एक मंदिर से चुराई गई थी। इसे भारत की बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है।
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11 मार्च 2024 को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (Oxford University) की परिषद ने एशमोलियन संग्रहालय से संत तिरुमंकाई अलवर की 16वीं शताब्दी की कांस्य मूर्ति (bronze statue) की वापसी के लिए भारतीय उच्चायोग के दावे का समर्थन किया। विश्वविद्यालय (Oxford University) के एशमोलियन संग्रहालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि यह निर्णय अब चैरिटी आयोग को अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
संत तिरुमंकाई अलवर की 60 सेमी ऊंची प्रतिमा (bronze statue) को 1967 में डॉ. जे.आर. बेलमोंट (1886-1981) नामक एक संग्रहकर्ता के संग्रह से सोथबी के नीलामी (auction) घर से ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (Oxford University) के एशमोलियन संग्रहालय द्वारा प्राप्त किया गया था। संग्रहालय (museum) का कहना है कि पिछले वर्ष नवम्बर में एक स्वतंत्र शोधकर्ता ने उसे इस प्राचीन मूर्ति (bronze statue) की उत्पत्ति के बारे में जानकारी दी थी, जिसके बाद उसने भारतीय उच्चायोग को इस बारे में सूचित किया।

भारत सरकार ने कांस्य मूर्ति (bronze statue) के लिए औपचारिक अनुरोध किया, जिसके बारे में माना जाता है कि वह तमिलनाडु के एक मंदिर से चुराई गई थी और नीलामी के माध्यम से ब्रिटेन के एक (Oxford University) संग्रहालय में पहुंच गई थी। संग्रहालय (museum) का कहना है कि उसने 1967 में इस मूर्ति को सद्भावना के साथ हासिल किया था। ब्रिटेन से चुराई गई भारतीय कलाकृतियों को भारत में पुन:स्थापित किए जाने के कई उदाहरण हैं।
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