हेल्थ डेस्क। लंग कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो दुनिया भर में कई लोगों की मौत का कारण बनती है। यही वजह है कि इस बीमारी के प्रति के जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 1 अगस्त को वर्ल्ड लंग कैंसर डे (World Lung Cancer Day 2025) मनाया जाता है। बीते कुछ समय से भारत में भी इसके मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं।
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आमतौर पर कैंसर के इस प्रकार को स्मोकिंग से जोड़कर देखा जाता है। ज्यादातर लोगों का ऐसा माना है लेकिन धूम्रपान के अलावा और भी कई कारण हैं, जो इस कैंसर (Lung Cancer) के विकास में मदद करते हैं। प्रदूषित हवा में सांस लेने से, खासकर शहरी इलाकों में फेफड़े हानिकारक पार्टिकल्स और केमिकल्स के संपर्क में आते हैं जो समय के साथ फेफड़ों के टिश्यूज को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

युवाओं में Lung Cancer के लक्षण अक्सर सामान्य सर्दी-खांसी समझकर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं। कुछ वर्कप्लेस लोगों को एस्बेस्टस, रेडॉन और डीजल के धुएं जैसे कैंसरकारी पदार्थों के संपर्क में लाते हैं। लंबे समय तक इनके संपर्क में रहने से फेफड़ों के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
कुछ लोगों को जेनेटिक म्यूटेशन विरासत में मिलते हैं, जो उन्हें धूम्रपान न करने पर भी व्यक्ति को फेफड़ों के कैंसर के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनाते हैं। Lung Cancer बीमारी में पारिवारिक इतिहास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। खराब खान-पान, एक्सरसाइज की कमी या टीबी और अस्थमा जैसी पुरानी फेफड़ों की बीमारियां लंग्स के स्वास्थ्य को कमजोर कर सकती हैं, जिससे धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
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