नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) इन दिनों चर्चा में है। पाकिस्तान (Pakistan) को कर्ज देने के बाद आईएमएफ को चिंता है कि कहीं ये पैसा डूब न जाए। इसके लिए संस्थान ने एक बड़ा फैसला किया है। आईएमएफ ने कहा कि पाकिस्तान के लिए अपने राहत कार्यक्रम की अगली किस्त जारी करने से पहले 11 नई शर्तें लागू की हैं। खैर हम आपको बताते हैं पूरी दुनिया को कर्ज (loans) देने वाले आईएमएफ के पास पैसे आते कहां से हैं।
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IMF का पैसा कई अलग-अलग सोर्स से आता है। मेंबर कोटा आईएमएफ का प्राथमिक स्रोत है। मेंबर कोटा एक तरह की फीस है जो सदस्यता के लिए उस देश को देना होता है। इसे सदस्यता की रकम भी कह सकते हैं। किसी सदस्य देश का कोटा विश्व अर्थव्यवस्था में उसके आकार और स्थिति को बताता है। इसी से IMF में उस देश की अहमियत और वोटिंग पावर तय होती है। इसके अलावा इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड जब किसी सदस्य को कर्ज देता है तो उसके ब्याज से भी कमाता है।
इसके अलावा आईएमएफ के पास कुछ और भी तरीके हैं जैसे जरूरत पड़ने पर वो दूसरे देशों से कर्ज लेकर पैसे का इंतजाम कर सकता है या फिर सदस्य देशों से कर्ज ले सकता है। जब आईएमएफ दूसरे देश से कर्ज लेता है तो इसे New Arrangements to Borrow (NAB) कहा जाता है और सदस्य देशों से कर्ज लेता है तो इसे Bilateral Borrowing Agreements (BBA) कहते हैं।

IMF की स्थापना 1944 में 44 देशों ने की थी लेकिन आज इसके सदस्यों की संख्या 191 हो चुकी है। 1930 की महामंदी के बाद इसकी स्थापना तमाम देशों को मदद देने के मकसद से की गई थी। आईएमएफ जरूरत पड़ने पर सदस्य देशों को कर्ज देकर मदद करता है। ये कर्ज कितना होगा, ये मेंबर कोटा के हिसाब से तय किया जाता है। IMF सदस्य देशों की अर्थव्यवस्था की लगातार निगरानी भी करता रहता है। हर साल सदस्य देशों की आर्थिक हालत की रिपोर्ट जारी करता है और आर्थिक नीतियों को मजबूती देने के लिए सुझाव भी देता है।
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