नई दिल्ली। पाकिस्तान (Pakistan) से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात BSF के जवान पूर्णम कुमार शॉ (Purnam Kumar Shaw) गलती से पाकिस्तानी सीमा में चले गए थे जिसके बाद उन्हें पाकिस्तानी रेंजर्स (Pakistan) ने हिरासत में ले लिया था। भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद पाकिस्तानी रेंजर्स ने पूर्णम कुमार शॉ को भारत को सौंप दिया है। BSF जवान पूर्णम कुमार शॉ अटारी बॉर्डर से भारत वापस लौटे हैं।
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दरअसल इसके पीछे एक मजबूत वैश्विक कानून है, जिसे हर देश को मानना पड़ता है चाहे हालात कितने भी तनावपूर्ण क्यों न हों। ये कानून है जिनेवा कन्वेंशन (Geneva Convention)। जिनेवा कन्वेंशन एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसे युद्ध के दौरान मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए बनाया गया था। इसका उद्देश्य घायल सैनिकों, युद्धबंदियों और आम नागरिकों के साथ मानवता और सम्मान से पेश आना सुनिश्चित करना है। इस समझौते की शुरुआत 1864 में हुई थी और अब तक इसकी चार प्रमुख संधियां लागू की जा चुकी हैं।

इनमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगर कोई सैनिक बिना लड़ाई के पकड़ में आता है, तो उसे न तो प्रताड़ित किया जा सकता है और न ही मारा जा सकता है। तमाम देशों के बीच में भले ही युद्ध हो रहा हो और एक दूसरे के सैनिकों को मारा जा रहा हो, लेकिन निहत्थे सैनिकों पर गोलियां नहीं चलाई जाती हैं। साथ ही अगर सैनिक सरेंडर करता है या फिर निहत्था किसी देश की सीमा पर पकड़ा जाता है तो उसके साथ बर्बरता नहीं की जा सकती है।
अगर दूसरे देश का कोई नागरिक या फिर जवान घायल अवस्था में मिलता है तो तुरंत उसे इलाज दिया जाना जरूरी होता है। साथ ही एक उचित समय के बाद इस सैनिक या फिर लोगों को उसके देश को वापस लौटाना होता है। यही वजह है कि पाकिस्तान (Pakistan) की तरफ से अब BSF के जवान को लौटा दिया गया है। इसके लिए दोनों सेनाओं में पहले बातचीत होती है और फिर तारीख और समय तय होता है।
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