कोच्चि। भारत (India) का पहला मानवयुक्त गहरा समुद्र मिशन (Samudrayan) छह हजार मीटर की गहराई तक समुद्र के रहस्य को खंगालेगा। राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइओटी) के निदेशक बालाजी रामकृष्णन ने कहा है कि पनडुब्बी 2026 के अंत तक रवाना हो सकता है। इसे स्वदेशी तकनीक (technology) से विकसित किया गया है।
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आपको बता दें समुद्रयान (Samudrayan) तीन विज्ञानियों को लेकर समुद्र के सफर पर रवाना होगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एनआइओटी गहरे समुद्र मिशन की नोडल एजेंसी है। स्वदेशी तकनीक से विकसित, 25 टन के चौथी पीढ़ी के यान को विशेष रूप से गहरे समुद्र में अत्यधिक दबाव और तापमान का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें टाइटेनियम से बना पतवार है।
यह गहरे समुद्र में संसाधनों के आकलन और समुद्र पर्यटन की संभावनाओं के लिए नए रास्ते खोलेगा। मिशन गहरे समुद्री क्षेत्र से महत्वपूर्ण नमूने एकत्र करने में सहायक होगा, जिससे विज्ञानियों को क्षेत्र में जीवों और पानी की अनूठी विशेषताओं को समझने के अवसर मिलेंगे।चरणबद्ध प्रक्रिया के तहत समुद्रयान (Samudrayan) की लांचिग की जाएगी।

इस साल के अंत तक 500 मीटर गहराई तक परीक्षण किया जाएगा। गोता लगाने की यात्रा में चार घंटे लगेंगे और बाहर आने में भी उतना ही समय लगेगा। यह 6000 मीटर की गहराई पर समुद्र तल के दबाव से 600 गुना अधिक यानी 600 बार (दबाव मापने की इकाई) प्रेशर झेल सकती है। सबमर्सिबल (Samudrayan) का व्यास 2.1 मीटर है। इसके जरिए तीन लोगों को 6000 मीटर की समुद्री गहराई में 12 घंटे के लिए भेजा जाएगा। अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन के बाद मानवयुक्त सबमर्सिबल बनाने वाला भारत छठा देश है।
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