लखनऊ। सात साल से ज्यादा समय तक जेल की सलाखों के पीछे रहने वाला एक पूर्व विधायक, जिसकी पहचान बाहुबली नेता के तौर पर थी, अब जमानत की खबर के साथ सुर्खियों में है, जिसका नाम है Kuldeep Singh Sengar। सवाल सिर्फ कुलदीप सिंह की रिहाई का नहीं है बल्कि उनके पास कितनी दौलत जुड़ी और कितना सब कुछ छिन गया?
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कुलदीप सेंगर साल 1996 में पहली बार ग्राम प्रधान बने थे। इसके बाद दो बार उनकी मां और फिर छोटे भाई की पत्नी भी ग्राम प्रधान रहीं। कुलदीप सिंह सेंगर ने पहली बार 2002 में विधायकी में हाथ आजमाया था, उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर उन्नाव सदर से चुनाव लड़ा था और जीत भी दर्ज की थी। बताया जाता है कि बसपा इससे पहले कभी भी उन्नाव सदर से चुनाव नहीं जीती थी।

हालांकि बाद में उन्हें पार्टी ने बाहर निकाल दिया था। फिर उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया और सपा के सिंबल पर 2007 विधानसभा चुनाव में बांगरमऊ सीट से ताल ठोक दिया था। 2012 में समाजवादी पार्टी ने सरकार बना ली थी। 2016 पंचायत चुनाव में कुलदीप सेंगर ने पत्नी संगीता सेंगर को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जितवाया और उसके बाद जिला पंचायत अध्यक्ष का दावेदार बना दिया। हालांकि सपा ने सेंगर की पत्नी को टिकट नहीं दिया था।
2017 में समाजवादी पार्टी ने कुलदीप सेंगर का टिकट काट दिया था, उसके बाद कुलदीप बीजेपी में आ गए और उन्नाव की बांगरमऊ सीट से चुनाव जीतकर चौथी बार विधायक बन गए थे। 2007 विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 36 लाख 23 हजार रुपये घोषित की थी। 2012 के चुनाव तक यह संपत्ति बढ़कर 1 करोड़ 27 लाख 26 हजार रुपये हो गई।
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