डेस्क। चुनावों में राजनीतिक दलों की भूमिका सबसे अहम है। राजनीतिक दलों के ‘स्टार प्रचारक’ वे चेहरे होते हैं जिनके दम पर रैलियों में भीड़ जुटती है। उनकी संख्या और वित्तीय व्यवस्था चुनाव आयोग के सख्त नियमों से बंधी हुई है। चुनाव आयोग के अनुसार, star campaigners वे प्रमुख नेता या हस्तियां होती हैं, जो राजनीतिक दल के नाम पर प्रचार करती हैं।
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इनमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक या दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे बड़े नाम शामिल हो सकते हैं। इनके प्रचार से दल को अपार लाभ मिलता है लेकिन आयोग ने इनकी संख्या सीमित रखी है ताकि चुनावी खर्च पर नियंत्रण रहे और सभी दलों को समान अवसर मिले। भारतीय चुनाव आयोग किसी भी दल के द्वारा नियुक्त किए जाने वाले स्टार प्रचारकों की संख्या को काफी ज्यादा सख्ती से नियंत्रित करता है।

राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को ज्यादा से ज्यादा 40 स्टार प्रचारक रखने की अनुमति है। इसी के साथ गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल ज्यादा से ज्यादा 20 स्टार प्रचारक रख सकते हैं। पार्टी को चुनाव अधिसूचना के 7 दिनों के अंदर स्टार प्रचारकों की सूची चुनाव आयोग को देनी होती है। चुनाव आयोग के मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के तहत मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों जैसे BJP, INC, AAP, CPI-M आदि को अधिकतम 40 स्टार प्रचारक नियुक्त करने का अधिकार है।
मान्यता प्राप्त राज्य दलों को भी 40 स्टार प्रचारक। पंजीकृत लेकिन मान्यता प्राप्त न होने वाले दलों को केवल 20 स्टार प्रचारक। स्वतंत्र उम्मीदवारों को शून्य – वे किसी स्टार प्रचारक का लाभ नहीं ले सकते। चुनाव आयोग के स्पष्ट नियमों के अनुसार, स्टार प्रचारकों को उनके प्रचार कार्य के लिए कोई अलग वेतन या भत्ता नहीं दिया जाता।
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