हिमाचल प्रदेश। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में नए साल से सरकारी विभागों में डीजल-पेट्रोल वाहनों (diesel-petrol vehicles) की खरीद नहीं होगी। सुक्खू सरकार (government) प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य बनाने और ई-वाहनों (e-vehicles) को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठा रही है।
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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सभी सरकारी विभागों को एक जनवरी से डीजल या पेट्रोल वाहन (diesel-petrol vehicles) नहीं खरीदने के निर्देश दिए हैं। यदि बहुत जरूरी हुआ तो राज्य कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही विभाग पेट्रोल या डीजल वाहन (diesel-petrol vehicles) खरीद सकेंगे।सुखविंदर सिंह सुक्खू कहते हैं, ”राज्य सरकार हिमाचल में ई-वाहनों (e-vehicles) को बढ़ावा दे रही है।”
आपको बता दें परिवहन विभाग (Transport Department) पहला विभाग है जिसमें ई-वाहनों (e-vehicles) का प्रयोग प्रारम्भ किया गया तथा चरणबद्ध तरीके से सभी सरकारी विभागों में इन वाहनों का संचालन सुनिश्चित किया जा रहा है। ई-वाहन (e-vehicles) न केवल एक नई शुरुआत है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को सुरक्षित बनाना है और इसकी शुरुआत हमें आज से ही करनी होगी।
उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों में वाहनों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने ई-टैक्सी (e-vehicles) को अनुबंध पर लेने की अनुमति दे दी है। 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना के तहत युवाओं को ई-टैक्सी परमिट उपलब्ध कराये जा रहे हैं। ई-टैक्सी की खरीद पर 50 प्रतिशत सब्सिडी भी दी जा रही है। इन वाहनों को घर पर भी चार्ज किया जा सकता है और राज्य सरकार चार्जिंग के लिए बुनियादी ढांचा भी तैयार कर रही है।
उन्होंने कहा कि ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए 6 राजमार्गों को ग्रीन कॉरिडोर के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है। परिवहन विभाग ने राज्य में ई-वाहन (e-vehicles) चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए 54 स्थानों को अंतिम रूप दिया है, जिनमें से कुछ लगभग तैयार हैं। सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार (government) लंबे रूटों पर भी ई-बसें चलाने जा रही है। टाइप-1, 2 और 3 ई-बसों को चरणबद्ध तरीके से एचआरटीसी बेड़े में शामिल किया जा रहा है, ताकि 31 मार्च, 2026 तक हिमाचल को स्वच्छ और हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके।
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