नई दिल्ली। चीन में फैली रहस्यमय बीमारी से दुनिया दहशत में है। मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि उत्तरी चीन के अस्पताल सांस की बीमारी से जूझ रहे बच्चों से भरे हुए हैं। डॉक्टरों से सलाह लेने के लिए ही घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। बीजिंग में 7000 बीमार रोज पहुंच रहे हैं। मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर चरमराने लगा है।
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पीड़ित बच्चों में फेफड़ों में जलन, तेज बुखार और जुकाम जैसे लक्षण दिख रहे हैं। बीमारी को फैलने से रोकने के लिए स्कूलों में छुट्टी कर दी गई। चीन के हेल्थ कमिशन का कहना है कि फेफड़ों के इस संक्रामक मर्ज के पीछे कई पैथोजन्स हैं। इन मामलों में इजाफे के पीछे इन्फ्लुएंजा बड़ा कारण है। साथ ही, राइनोवाइरस, माइकोप्लाज्मा निमोनिया और रेस्पिरेटरी सिंसाइटियल वायरस भी फैल रहे हैं। भारत सरकार ने चीन से आ रही रिपोर्ट्स को देखते हुए राज्यों को अलर्ट किया है। उनसे सभी एहतियाती उपाय करने को कहा गया है।
मंत्रालय ने रविवार को कहा कि उसने अत्यधिक सतर्कता बरतते हुए श्वसन संबंधी बीमारियों से निपटने के लिए प्रारंभिक उपायों की सक्रिय रूप से समीक्षा करने का निर्णय लिया है। राज्य निगरानी इकाइयों द्वारा विशेष रूप से बच्चों और किशोरों में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई), गंभीर तीव्र श्वसन संबंधी बीमारी के रुझान पर बारीकी से नजर रखने को कहा गया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत को भेजे ई-मेल में कहा कि चीन में फैले संक्रमण से बचाव के तरीके कोरोना जैसे ही हैं। डब्ल्यूएचओ ने चीन से अतिरिक्त जानकारी मांगी है। बताया जा रहा है कि चीन के इसी इलाके से कोरोना वायरस की शुरुआत हुई थी, जो दुनिया के दूसरे देशों तक पहुंच गया था। हालांकि, मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार बारीकी से नजर रख रही है, घबराने की कोई जरूरत नहीं है। चीन में फैली बीमारी का मनुष्य से मनुष्य में संचार होने की सूचना अभी नहीं है।
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