लाइफस्टाइल डेस्क। Green tea को हेल्दी रूटीन का हिस्सा माना जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स, कैटेचिन्स और पॉलीफेनॉल्स शरीर को टॉक्सिन्स से बचाते हैं, मेटाबॉलिज्म बढ़ाते हैं और वजन कम करने में मदद करते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ग्रीन टी सभी के लिए सुरक्षित हो सकती है क्योंकि कुछ हेल्थ कंडीशन्स में इसका सेवन उल्टा नुकसान पहुंचा सकता है।
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ग्रीन टी में कैफीन और टैनिन्स मौजूद होते हैं, जो गर्भावस्था में फोलिक एसिड के एब्जॉर्पशन को कम कर सकते हैं। इससे भ्रूण में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा अधिक कैफीन प्रीमैच्योर डिलीवरी या कम वजन वाले बच्चे का कारण भी बन सकता है।
कैफीन मां के दूध में पहुंचकर शिशु में नींद की कमी, चिड़चिड़ापन और पेट की समस्या पैदा कर सकता है। खासकर नवजात शिशुओं के लिए यह असर ज्यादा हानिकारक हो सकता है। जो लोग कैफीन के प्रति संवेदनशील होते हैं, उन्हें थोड़ी सी मात्रा में भी घबराहट, दिल की धड़कन बढ़ना, कंपकंपी और चक्कर हो सकती है। उनके लिए ग्रीन टी का नियमित सेवन समस्या को बढ़ा सकता है।

ग्रीन टी में मौजूद टैनिन्स आहार से मिलने वाले आयरन के एब्जॉर्पशन को बाधित करते हैं। इससे आयरन की कमी और गंभीर हो सकती है, खासकर अगर मरीज पहले से ही हीमोग्लोबिन के लो लेवल से जूझ रहा हो। खाली पेट ग्रीन टी पीने से पेट में एसिडिटी, गैस, मितली और जलन की समस्या बढ़ सकती है। कुछ मामलों में ज्यादा मात्रा में सेवन लिवर एंजाइम्स पर नकारात्मक असर डालकर लीवर डैमेज का खतरा भी बढ़ा देता है।
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